हरियाणा की झोली में ही क्यों आते हैं ज्यादातर पदक?


नई दिल्ली। बचपन में सबने एक कहावत सुनी होगी ,"खेलोगे कूदोगे होगे खराब , पढ़ोंगे लिखोगे तो होगे नवाब" इस मिथक को हरियाणा ने बखूबी तोड़ा है।दूध घी और खेलकूद हरियाणा की हवाओं में है।लड़का हो या लड़की हरियाणा की सुबह आलस्य की चादर खींचकर यहां की युवाओं को वर्जिश के लिए भेज देती है। हरियाणा में खेल कूद कसरत मानों नैसर्गिक क्रिया है। देश या विदेश मेडल जीतने में हरियाणा ने हमेशा से परचम लहराया है। ताजा उदाहरण है एशियन गेम्स का ,एशियन गेम्स में इस बार देश को 69 मेडल मिले। खास बात यह कि इनमें से 18 मेडल्स एक ही प्रदेश हरियाणा से मिले। 2016 के रियो ओलिंपिक में मिले दो मात्र पदकों में से एक हरियाणा से ही था।साल 2012 लंदन ओलंपिक में 81 सदस्यों वाले भारतीय दल में 18 एथलीट हरियाणा से थे। वहीं साल 2016 रियो ओलंपिक में हरियाणा के 22 एथलीट भारतीय दल का हिस्सा थे।आइए बताते आपको हरियाणा के इस सफलता के बारे में...

Advertisement

ये भी पढ़ें- Asian Games 2018: इन राज्यों के खिलाड़ियों ने गोल्ड जीतकर बिखेरा जलवा, विश्व भर में लहराया अपना परचम

देश की कुल आबादी में हरियाणा का हिस्सा सिर्फ 2 फीसदी है।इस प्रदेश के हर घर में पहलवान, बॉक्सर, कबड्डी और हॉकी खेलने वाले युवा जरूर मिल जाएंगे।
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में भारत ने 26 गोल्ड के साथ कुल 66 पदक जीते थे। जिसमें हरियाणा के एथलीटों ने कुल 22 मेडल देश को दिलाए थे, यही नहीं साल 2014 ग्लासगो में हरियाणा के एथलीटों ने देश को 19 मेडल दिलाये थे। जबकि साल 2010 में ये संख्या 27 थी।

Explore Now: Cricket World Cup Action LIVE!
Advertisement

हरियाणा की संस्कृति हरियाणा को अन्य राज्यों से अलग बनाती है। खेती की वजह से हरियाणा का खानपान और वातावरण काफी हद तक शुद्ध देशी रहा है। हरियाणा में कहावत है,"दूध-दही का खाना है, अपना देश हरियाणा है। हरियाणा में युवाओं में सेना ज्वाइन करने का जूनून है और इसके लिए खेल सबसे सही माध्यम है।कैप्टन उदय चांद, बलबीर सिंह और कैप्टन हवा सिंह जैसे दिग्गज ओलंपियन ने सेना में रहते हुए देश का मान खेलों में बढ़ाया। आजादी के बाद सेना में जाने की दिलचस्पी युवाओं में काफी बढ़ी। नारनौल, झज्जर, भिवानी जैसी जगहों से युवाओं ने खूब हिस्सा लिया।लीला राम , देवी सिंह ने भारत का नाम खेलों में रौन किया और सेना में रहने के बाद खिलाड़ियों को काफी प्रभावित किया और पदक के लिए काफी प्रोत्साहित भी किया।

Advertisement

हरियाणा में सरकार का खेलों के प्रति रवैया काफी सकरात्मक रहा है। आजादी के पहले खेले जाने वाले खेेल भी अब मॉर्डन तरीकों से खेले जा रहे हैं।कुश्ती आखाड़े में खेलने के बाद सरकार की कोशिश है कि मड टू मैट यानि मिट्टी से मैट पर खिलाड़ी पहलवानी सीखें जिससे विदेश व अन्य जगह आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में वह भाग ले सकें। खिलाड़ियों को वीडियो दिखाए गए।बताया गया कि खिलाड़ियों को खेल तो अच्छा लगता था पर साधन की कमी और चोट के डर से खिलाड़ी खेलने से परहेज करते थे। खेलों को लेकर सरकार की संजीदगी इस बात से आकी जा सकती है कि साल 2000 में राज्य में पहली बार खेलनीति शुरू की गई।जिसके हिसाब से खिलाड़ियों की सुख-सुविधाओं और बुनियादी जरुरतों पर ध्यान दिया जा सके।

Advertisement

हरियाणा में खेल के प्रति युवाओं की दिलचस्पी बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण नौकरी मिलना है। साल 2001में हरियाणा की कैबिनेट ने प्रस्ताव पारित किया जिसमें स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतने वाले को हरियाणा प्रशासिक सेवा और हरियाणा सिविल सर्विस और हरियाणा पुलिस सर्विस में नौकरी दी जाती है। इनामों की बारिश सभी खिलाड़ियों का काफी प्रोत्साहन करती है। ताजा उदाहरण है ,एशियन गेम्स 2018 में भराज्य के मेडल विजेताओं को सरकार नेगोल्ड मेडल जीतने वाले प्रत्येक खिलाड़ी को 1.5 करोड़, सिल्वर पदक जीतने वाले प्रत्येक खिलाड़ी को 75 लाख अौर कांस्य पदक जीतने वाले हर खिलाड़ी को 50 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा कर चुका है।

English Summary

How Haryana is always on top in wining medals, Know reasons
Read more...