नई दिल्ली। थाईलैंड पैरा बैडमिंटन इंटरनेश्नल चैंपियनशिप 2018 में कांस्य पदक अपने नाम करने वाली मानसी जोशी की कहनी जिंदगी से जंग लड़कर जीतने की उम्दा मिसाल है। अनुशासन, दृढ़ संकल्प और समर्पण के जरिए कैसे सफलता हासिल की जा सकती हैं इसका ताजा उदाहरण मानसी हैं।
29 साल की मानसी 2015 से बैडमिंनट खेल रही हैं। मानसी ने अपने करियर में मिक्स डबल्स में रजत पदक और 2017 में कांस्य और स्पेनिश इंवेट में स्वर्ण पदक अपने नाम किया है।अपने हाल के प्रदर्शन के चलते मानसी काफी आत्मविश्वास से भरी हुई हैं वह कहती हैं कि वह आगे भी अच्छा प्रदर्शन करेंगी।गुजरात बेस्डस सॉफ्टवेयर इंजीनियर मानसी ने फिलहाल अपनी नौकरी से 4 महीने की छुट्टी ले ली है।उनका कहना है कि वह देश के लिए एशियन गेम्स में पैरा बैडमिंटन में पदक जीतना चाहती हैं।
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बचपन से खेल रही हैं बैडमिंटन:
मानसी ने दिसंबर 2011 में सड़क दुर्घटना में एक पांव गंवा दिया था लेकिन इसके बावजूद उन्होंने खेलना जारी रखा। उन्होंने कहा, 'मैं बचपन से बैडमिंटन खेल रही हूं और विकलांग होने के बाद भी मैंने फिर से यह खेल खेलना शुरू कर दिया।'
Won a bronze medal in Women's Singles SL3. First tournament after getting a sports prosthesis. Special thanks to @welspungroup for supporting me with a blade foot . pic.twitter.com/ztIBJ4sl7M
— Manasi Joshi (@joshimanasi11) July 29, 2018
समाज सबसे बड़ी चुनौती:
मानसी एक सवाल के जवाब पर कहती हैं कि मेरे लिए समाज ही सबसे बड़ी चुनौती रहा है।समाज पैरा खिलाड़ियों को सामान्य खिलाड़ियों की तरह नहीं देखता है। पैरा खिलाड़ियों ने लगातार अपना प्रदर्शन अच्छा किया है जिसके वजह से अब लोगों की सोच में परिवर्तन आया है।
Truly inspiring! India's Manasi Joshi wins Bronze in Women's Singles at Thailand Para-Badminton International 2018. She lost a leg in a road accident, but that did not floor the ambition of 29-yr-old Manasi, who chased her #badminton dreams with renewed vigour. Take a bow, CHAMP! pic.twitter.com/TbeYfG81z9
— ✈Anantha Krishnan M✈ (@writetake) August 9, 2018
पी. गोपीचंद से ले रही प्रशिक्षण:
मुंबई में जन्मी यह खिलाड़ी पिछले एक महीने से यहां पी गोपीचंद अकादमी में प्रशिक्षण ले रही है। वह जकार्ता में अक्तूबर में होने वाले पैरा एशियाई खेलों में अच्छा प्रदर्शन कने के प्रति आश्वस्त हैं। मानसी जिस कृत्रिम पांव का इस्तेमाल करती हैं उसमें सेंसर लगा होता है। कोच गोपीचंद मानसी की तारीफ करते हुए कहते हैं कि मानसी लोगों के लिए प्रेरणस्रोत हैं।
मानसी का कहना है कि 'कृत्रिम पांव की कीमत 20 लाख रूपये है और प्रत्येक पांच साल में इसे बदलना पड़ता है तथा यह निश्चित तौर पर एक बोझ है भले ही आप कितने भी धनी हों।