दरअसल बीएआई द्वारा आजीवन प्रतिबंद्ध लगाए जाने के बाद ज्वादा गुट्टा ने बीएआई के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायाधीश वीके जैन ने बीएआई से कहा कि आपको उसे खेलने की अनुमति अवश्य देनी चाहिए। कोर्ट इस मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्हें तब तक खेलने की अनुमति दी जाए जब तक की उनपर चल रही जांच पूरी नहीं हो जाती।
ज्वाला ने अपनी याचिका में कहा था कि बीएआई की अनुशासन समिति ने बिना किसी वाजिब कारण या स्पष्टीकरण के उन पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है। बीएआई की तरफ से वकील शांति भूषण ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि संघ द्वारा लिया गया निर्णय सही है, और ज्वाला पिछले तीन वर्षो से अपनी प्रतिभा के अनुकूल प्रदर्शन नहीं कर रही हैं।