सिंधु को कोर्ट पर शांत बनाए रखते थे कोच पार्क ताए-सांगो
पार्क ताए-सांगो ने यह भी खुलासा किया है कि उन्होंने दिग्गज भारतीय शटलर को शांत रखने के लिए किस तरीके की चुनौतियों का सामना किया और उनसे कैसे निपटें। कई बार खिलाड़ी अपने खेल में इतना बह जाता है कि उसका फोकस वापस कोर्ट पर लेकर आना बहुत जरूरी होता है।
पार्क ताए-सांगो ने एनडीटीवी के हवाले से बताया, "जब मैच में तनावपूर्ण क्षण आते थे और सिंधु के ऊपर काफी दबाव होता था, भले ही अंक भी मिल जाए, लेकिन तब यह बड़ा आसान हो जाता है कि आप अगले शॉट या रैली में कुछ गलतियां कर बैठे।"
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खेल के दौरान हिंदी में कहते थे- 'आराम से'
उन्होंने बताया ऐसे मौकों पर मैं उनको शांत रहने के लिए कहता था। जब भी पार्क अपनी शागिर्द पीवी सिंधु को शांत रहने के लिए बोलते थे तो सिंधु उनसे फिर से पूछती थी कि क्या उन्होंने 'आराम से' कहा है?
ऐसे में पार्क ताए-सांगो खिलखिला कर हंसते हैं और कहते हैं, "हां, मैंने 'आराम से' कहा है, मुझे पता है 'आराम से' का मतलब क्या होता है।"
वे कहते हैं, "सिंधु पहले से ही एक बड़ी स्टार हैं, मैंने कोशिश की थी कि सिंधु के साथ गोल्ड मेडल जीता जाए लेकिन ब्रॉन्ज भी एक बड़ा मेडल है तो मैं काफी खुश हूं।"
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इतना ही नहीं पीवी सिंधु भी अपने कोच की तारीफ करती हैं और कहती हैं, "मैं पार्क ताए-सांगो को काफी लंबे समय से जानती हूं। जब हमने एक साथ ट्रेनिंग शुरू की तो एक दूसरे को जानने में कुछ समय लगा लेकिन हम दोनों का एक ही सपना था और वह था एक ओलंपिक मेडल जीतना।"
सिंधु ने यह भी बताया कि पार्क ताए-सांगो ने चाइनीस ताइपे की खिलाड़ी के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में मिली हार के बाद किस तरह से उनकी हौसला अफजाई की थी।
वे कहती हैं, "मैं सेमीफाइनल में हार गई, बहुत दुखी थी, मेरी आंखों में आंसू थे लेकिन मेरे कोच ने कहा कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है, अभी भी एक मौका है। उन्होंने मुझे बताया कि ब्रोंज मेडल जीतने में और चौथे स्थान पर आने में बहुत बड़ा अंतर है, और यह बात मुझे वाकई में समझ में आ गई। अपने देश के लिए ओलंपिक मेडल जीतना निश्चित तौर पर एक गर्व का क्षण होता है।"
आपको बता दें पीवी सिंधु भारत आ गई हैं और दिल्ली में उनका शानदार स्वागत हुआ है जहां उनके साथ कोच पार्क ताए-सांगो भी थे।