नई दिल्ली। टोक्यो में जारी ओलंपिक खेलों में भारतीय शटलर पीवी सिंधु ने दूसरा पदक और ब्रॉन्ज मेडल जीत कर इतिहास रच दिया है और सालों की मेहनत का फल हासिल किया। वह भारत के लिये लगातार दो ओलंपिक में पदक हासिल करने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी हैं। सिंधु ने टोक्यो में ब्रॉन्ज मेडल जीत से पहले रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। रविवार को पीवी सिंधु का सामना चीन की हे बिंग झाओ से हुआ जिसमें उन्होंने 21-13 और 21-18 की स्कोर लाइन से हराकर यह मेडल अपने नाम किया।
मैच में जीत हासिल करने के बाद सिंधु ने पदक जीतने के बाद कहा कि उनकी सालों के मेहनत रंग ले आयी और जब मैच के दौरान उन्हें बढ़त मिलने लगी तब भी उन्होंने अपनी भावनाओं पर काबू बनाये रखा और दिमाग को शांत रखने में कामयाब रही।
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विश्व बैडमिंटन फेडरेशन से बात करते हुए उन्होंने कहा,'यह मेरे लिये काफी खुशी देने वाला पल है क्योंकि मैंने पिछले कुछ सालों में जो मेहनत की वो रंग ले आयी। मेरे अंदर बहुत सारी भावनायें उस समय एक साथ बह रही थी। क्या मुझे ब्रॉन्ज मेडल जीतने पर खुश होना चाहिये या फिर फाइनल में खेलने के मौके को गंवा देने को लेकर दुख जताना चाहिये।हालांकि ओवरऑल मैंने अपने संयम को बरकरार रखा और इस मैच में अपना बेस्ट देना चाहता था, मैं खुश हूं कि मैं ऐसा करने में कामयाब रही, देश के लिये पदक हासिल करना बहुत सम्मान की बात है।'
सिंधु ने आगे कहा कि ऐसे मुश्किल मैचों में बढ़त हासिल करना बहुत जरूरी होता है और इसी वजह से मैंने इस मैच को एक नई शुरुआत के तौर पर देखा। हम दोनों ही अपना सेमीफाइनल मैच हारकर यहां पर उतरे थे ऐसे में वापसी करना आसान नहीं होता है। मुझे पता था कि यहां पर बढ़त हासिल करना जरूरी है और दिमाग को शांत और संयमित बनाये रखने की दरकार, ऐसे में मैंने बढ़त मिलने के बावजूद खुद की भावनाओं पर काबू रखा।
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खेल का जश्न मनाने को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मैं फिलहाल 9वें आसमान पर हूं और मैं इसके हर लम्हे का जश्न मनाना चाहती हूं। मेरे परिवार ने इसको लेकर काफी मेहनत की है जिसकी मैं काफी शुक्रगुजार हूं तो वहीं पर सभी फैन्स और स्पॉन्सर का भी शुक्रिया अदा करती हूं।