नई दिल्ली। जापान की राजधानी टोक्यो में जारी ओलंपिक खेलों में रविवार का दिन भारत के लिये कई मामलों में ऐतिहासिक रहा, जहां पर भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने लगभग 5 दशक बाद ओलंपिक के सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाई तो वहीं पर बैडमिंटन में भारत की स्टार खिलाड़ी पीवी सिंधु ने शानदार प्रदर्शन करते हुए देश के लिये दूसरा ओलंपिक मेडल जीता। पीवी सिंधु ने रविवार को खेले गये ब्रॉन्ज मेडल मैच में चीन की बिंग झायो को हराकर न सिर्फ पदक जीता बल्कि देश के लिये लगातार 2 ओलंपिक खेलों में मेडल जीतने वाली पहली महिला और दूसरी भारतीय खिलाड़ी बन गई।
इससे पहले ओलंपिक के इतिहास में भारत के लिये दो अलग-अलग ओंलपिक में मेडल जीतने का रिकॉर्ड सिर्फ सुशील कुमार के नाम था। हालांकि इस भारतीय खिलाड़ी के पास शनिवार को अपने मेडल का रंग सिल्वर या गोल्ड करने का मौका था जब उसे सेमीफाइनल मैच में चीन की ताई जू यिंग का सामना करना पड़ा हालांकि इस मैच में उन्हें दोनों सेट में हार का सामना करना पड़ा जिसके चलते वो बाहर हो गई।
और पढ़ें: Tokyo 2020: 49 सालों में पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची भारतीय हॉकी टीम, ब्रिटेन को 3-1 से हराया
वहीं रविवार को पीवी सिंधु के ब्रॉन्ज मेडल जीतने पर उनकी मां पीवी विजया ने खुलासा किया है कि कैसे उन्होंने सेमीफाइनल मैच में मिली हार से वापसी करते हुए भारत के लिये पदक जीतकर इतिहास रचा। उन्होंने बताया कि सेमीफाइनल मैच में हार के बाद पीवी सिंधु काफी निराश थी लेकिन रविवार को वापसी कर उन्होंने सभी को प्रभावित कर दिया।
उन्होंने कहा,' मैं काफी खुश हूं, उसने रियो ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल जीता था और इस बार टोक्यो में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। हम बहुत ही ज्यादा खुश हैं। हमने इस उपलब्धि का जश्न मनाने के लिये तैयारी की है। सेमीफाइनल में हारने के बाद वो काफी दुखी थी, ऐसे में हमने उसे थोड़ा सा रिलैक्स होने की सलाह दी और कहा कि ब्रॉन्ज मेडल मैच में अपनी पूरी काबिलियत के साथ खेलें, हमें खुशी है कि वो ऐसा करने में कामयाब रही और देश के लिये पदक जीता।'
और पढ़ें: Tokyo 2020: ओलंपिक के इतिहास में गोल्ड जीतने वाले पहले जर्मन खिलाड़ी बने जेरेव, कचनोव को रचा इतिहास
सिंधु ने बिंग झायो को 52 मिनट तक चले इस ब्रॉन्ज मेडल मैच में 21-13 और 21-15 की स्कोर लाइन से जीत हासिल की और मेडल अपने नाम किया। उन्होंने इससे पहले रियो ओलंपिक्स 2016 में सिल्वर मेडल भी अपने नाम किया था।
उनकी मां ने आगे कहा,'मैं इस बात से काफी खुश हूं कि 2 ओलंपिक खेलों में उसने 2 पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। यह किसी भी खिलाड़ी के लिये कर पाना आसान काम नहीं है। अपनी फिटनेस को बरकरार रखना और देश की उम्मीदों पर खरा उतरना आसान नहीं होता है। मैं भारत सरकार और अधिकारियों का शुक्रिया अदा करती हूं जिन्होंने उसकी आगे बढ़ने में काफी मदद की। मैंने उसे बताया कि कैसे वो ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच सकती है और इसे मेरे लिये गिफ्ट समझना।'