'मुझमें बस धैर्य नहीं था'
पंघाल (52 किलोग्राम) अपने पुराने दिनों का याद करते हुए हंसते है और कहते हैं उनकी हरकतों से कैसे उनके कोच झुंझलाहट में आ जाते थे। पीटीआई से बात करते हुए पंघाल बताते हैं, 'ये सच है, मैं अपने वीकेंड पर अपनी छुट्टियों के दौरान कैंप छोड़ दिया करता था, मुझमें बस धैर्य नहीं था। कोच मुझ पर गुस्सा किया करते थे। हमको त्यौहारों पर पर्याप्त छुट्टी नहीं मिलती थी और जब वे मिलती थी तो मैं उनका भरपूर इस्तेमाल करना चाहता था।'
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'हम पंघाल से बहुत दुखी रहते थे'
वहीं, इस बारे में बात करते हुए नेशनल कोच सी ए कटप्पा ने भी बताया ‘हां, हम उससे बहुत दुखी रहते थे। वह छुट्टियों से समय पर वापस नहीं आता था, अभ्यास के लिए भी समय पर नहीं पहुंचता, लेकिन उनका खेल शानदार था, हम अनुशासनहीनता होने के बाद भी ऐसे खिलाड़ी को खोना नहीं चाहते थे।' यह बात है 2016 की है जिसके अगले ही साल पंघाल ने पहली बार एशियाई चैंपियनशिप में भाग लेते हुए ब्रॉन्ज मेडल हासिल करके दुनिया में अपनी चमक बिखरने शुरू की थी।
कोच के संयम ने दी खेल में गंभीरता-
पंघाल अपने कोच का शु्क्रिया अदा करते हुए कहते हैं कि उनके अंदर धैर्य की कमी होने के बाद भी कोचों ने आपा नहीं खोया और उनमें निवेश किया। उन्होंने बताया, 'कोचों के धैर्य के चलते मैंने अपने खेल को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया और फिर एक समय ऐसा भी आया जब मैं महीने में केवल एक ही बार घर जाने लगा और वो भी तब जब कोच कहते कि अब एक ब्रेक ले लो।' हालांकि पुरानी आदत जल्दी नहीं छूटती और पंघाल को प्यार से 'बच्चू' बुलाने वाले कटप्पा ने कहा कि विश्व चैंपियनशिप के दौरान भी वह एक बार ट्रेनिंग के लिए देरी से पहुंचे। तब उन्होंने बताया कि देर से पहुंचने पर मैंने उससे जुर्माने के रूप में एक हजार रुपये देने की मांग की, तभी उसको आने दिया।'
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'मैं अभी भी कहां एडजस्ट हो पाया हूं'
इस बारे में पूछे जाने पर पंघाल ने हंसते हुए कहा, ‘अब मैं अभ्यास शिविर से सबसे बाद में जाता हूं। हर कोई वहां से चला जाता है लेकिन, मैं रहता हूं। यहां तक सब कहना शुरू कर देते हैं कि बस कर यार, हम जा रहे हैं अब। प्रशिक्षण को लेकर अब मेरा नजरिया काफी बदल गया है लेकिन अब भी मैं कोचों को परेशान कर रहा हूं।' पंघाल ने ओलंपिक कार्यक्रम से 49 किग्रा भार वर्ग हटने के बाद 52 किग्रा में खेलने का फैसला किया। इस बदलाव को लेकर पंघाल ज्यादा आश्वस्त नहीं थे। पूछे जाने उन्होंने बताया, ‘मैंने जितना सोचा था, यह उतना मुश्किल नहीं है लेकिन इसमें फिट बैठने में मुझे समय लगा। अभी भी कहां एडजस्ट हुआ हूं। मैं अपनी पूरी क्षमता का केवल 65 से 70 प्रतिशत इस्तेमाल कर पा रहा हूं। वजन कम होने से मिलने वाली हानि की भरपाई मैंने अपने पंच में ज्यादा पॉवर एड करके हासिल की है।'