मैरी कॉम नहीं ले रही हैं हिस्सा
पिछली बार एशियन गेम्स में भारत के प्रदर्शन पर अगर नजर डालें तो इंचियोन एशियाड में भारत ने 11 गोल्ड, 10 सिल्वर और 36 ब्रॉन्ज के साथ कुल 57 मेडल जीते थे, जिसमें ज्यादा मेडल एथलेटिक्स में आए थे, वहीं बाक्सिंग में भारत अपने खेलों की सूची में 8वें नंबर पर रहा था। पिछली बार भारत की तरफ से 13 प्लेयर्स ने बॉक्सिंग में हिस्सा लिया था जिसमें भारत ने एक गोल्ड और चार ब्रॉन्ज सहित कुल पांच मेडल जीते थे। वहीं इस बार के होने वाले मुकाबले में भारत की तरफ से 10 बॉक्सर हिस्सा ले रहे हैं। वहीं अनुभवी और दिग्गज मैरी कॉम इस बार एशियन गेम्स का हिस्सा नहीं होंगी, ऐसे में भारत के इन खिलाड़ियों से खासा उम्मीदें होंगी।
मनोज पर सभी की निगाहेंः
पिछले एशियन गेम्स के मुकाबले इस बार की बॉक्सिंग टीम बिल्कुल अलग है,इस बार टीम में अनुभव की भी खासा कमी है वहीं पिछले बार की गोल्ड मेडलिस्ट मैरी कॉम भी इस प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं है ऐसे में 10 सदस्यीय दल में मनोज ही हैं, जिनके पास दो एशियन गेम्स, दो ओलिंपिक का अनुभव है। ऐसे में इस दिग्गज मुक्केबाज से उम्मीद होगी की वो भारत को गोल्ड जिताएं।
मैरी कॉम की जगह ये करेंगी पूराः
भले ही इस एशियन गेम्स में मैरी कॉम टीम का हिस्सा नहीं है लेकिन उनकी कमी को पूरा करने के लिए वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडलिस्ट सोनिया लाथर जकार्ता में महिला मुक्केबाजी दल का नेतृत्व करेंगी। गौरतलब हो कि उनको भारत का दूसरा मैरीकॉम भी कहा जाता है। हालांकि इनमें सबसे ज्यादा अनुभवी 31 वर्ष की पवित्रा के पास 60 किग्रा में भारत की झोली में मेडल डालने का मौका है पर सोनिया पर भी सभी की उम्मीदें होंगी। बता दें कि गोल्ड कोस्ट में महिला मुक्केबाजों में से सिर्फ मैरी ही पोडियम तक पहुंची थीं, लेकिन यहां भारतीय महिला मुक्केबाजों का अच्छा रिकॉर्ड है।
इस खिलाड़ी से सभी को उम्मीदेंः
25 साल के शिव थापा की इस एशियाड के लिए दल में जगह बनाने में सफल रहे। लगातार तीन एशियन चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी शिव पिछले कुछ समय से खराब फॉर्म से गुजर रहे हैं। गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में भी वह टीम में जगह बनाने में असफल रहे थे। इसके बाजवूद शिव कभी भी उलटफेर करने में सक्षम हैं। लंदन ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले सबसे युवा मुक्केबाज रहे शिव 60 किग्रा में अपने पंच की ताकत दिखाने के लिए तैयार हैं। ऐसे में देखना होगा कि आखिर लोगों की उम्मीदों पर हमारे देश के मुक्केबाज कितना असरदार साबित होते हैं।