नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) भले ही हमारे इधर तमाम क्रिकेटर हर साल करोड़ों रुपये कमाएं पर 16 साल की हरियाणा स्टेट चैंपियन रिशु मित्तल अपना खर्च उठाने के लिए रोज घरों में पोंछा मारती हैं। वह करनाल में रहती है। उसने पिछले साल राज्य मुक्केबाजी प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता था।
दूसरी मैरी कॉम
जानकार कहते हैं कि रिशु मित्तल रिशु को यदि पूरी डाइट मिल जाए तो देश को दूसरी 'मैरीकॉम' मिल जाएगी। मित्तल बेहद गरीब परिवार से है। उसके पास दूध, दही, पनीर, फल खाना तो दूर, उसे वक्तज से रोटी भी नसीब नहीं होती। वह बड़ी मेहनत और लगन से मुक्केबाजी करती है। उसमें पूरा जज्बा भी है, लेकिन इसमें गरीबी बाधा बन रही है।
मैंने गोल्ड मेडल जीता
रिशु ने इसके बावजूद उसने स्टेट चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया।रिशु कहती है कि वह सुबह-शाम बड़ी लगन और मेहनत से मुक्केबाजी का अभ्यास करती है। कोच की मदद और कठिन परिश्रम से मैंने गोल्डट मेडल जीता।
वरिष्ठ पत्रकार अजय सेतिया कहते हैं कि मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर को इस खिलाड़ी के संबंध में तुरंत कोई फैसला लेना चाहिए। उसके सिर पर मां-बाप का साया नहीं है। पढ़ने और खेल का खर्च उठाने के लिए पैसे तक नहीं। हरियाणा की यह बिटिया लोगों के घरों में सुबह-शाम झाड़-पोंछा लगाकर अपने सपनों को जिंदा रखने की हर कोशिश कर रही है।
काम करने बाद वह स्कूल जाती है,जबकि शाम को स्टेडियम में अभ्यास करती है। मुक्केबाजी का हब कहे जाने वाले हरियाणा में उभरती खिलाड़ी की यह दुर्दशा हरियाणा सरकार का एक और चेहरा बयां करती है।