जारी है दुनिया को प्रेरित करने वाली अनोखी कहानी-
मैरी कॉम मणिपुर के एक छोटे से गांव और साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं और उनके माता पिता तब खेतों में काम करते थे। बचपन में उनकी एथलेटिक्स में खासी रुचि थी लेकिन वो डिंग्को सिंह की कामयाबी से प्रेरित हुईं और बॉक्सिंग में अपना करियर बनाया जिसके बाद वे भारतीय खेल इतिहास में एक किवदंती बन चुकी हैं। इसी साल मैरी कॉम ने पद्म विभूषण जैसा बड़ा सम्मान भी हासिल किया है। 3 बच्चों की मां होने के बावजूद जिस तरह से उन्होंने अपना खेल सफर जारी रखा और कामयाबी की बुलंदियों की छुआ वह अपने आप में दुनिया की बड़ी प्रेरक कहानियों में पहले ही शुमार हो चुका है।
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ऐतिहासिक उपलब्धियां-
मैरी कॉम 2002, 2005, 2006, 2008, 2010, 2018 चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुकी हैं। छठे मेडल के साथ ही वे दुनिया की सबसे सफल महिला मुक्केबाज बनी थी। मैरी ने पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में 48 किग्रा भार वर्ग में यूक्रेन की मुक्केबाज हन्ना ओकहोटा को मात दी थी। ये मुकाबला जीतकर उन्होंने अपना ऐतिहासिक छठा गोल्ड हासिल कर लिया था। ऐसा करने वाली वे दुनिया की पहली मुक्केबाज भी बन गई थीं।
साल दर साल बेहतर होती मैरी-
बीता साल मैरी कॉम के लिए शानदार रहा उन्होंने मई में इंडिया ओपन बॉक्सिंग टूर्नामेंट में भी गोल्ड मेडल जीता था। उस साल की शुरुआत ही उनके लिए बेहतरीन हुई थी और 'मैग्नीफिशेंट मैरी' अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) की विश्व रैंकिंग में टॉप पर आई थी। भारत में महिला सशक्तिकरण की पर्याय बन चुकी मैरी कॉम को एशिया की सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट भी चुना गया था। यह अवॉर्ड एशियन स्पोर्ट्सराइटर्स यूनियन द्वारा दिया गया। मलेशिया में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में मैरीकॉम के अलावा पुरुष वर्ग में दक्षिण कोरिया के फुटबॉलर हेयुंग मिन सोन को एशिया का सर्वश्रेष्ठ एथलीट चुना गया।
37वें साल में पूरा हो सपना-
बता दें कि मेरीकॉम को 2020 ओलंपिक का सपना पूरा करने के लिए 51 किग्रा में खेल रही हैं क्योंकि 48 किग्रा को अभी तक खेलों के वजन वर्ग में शामिल नहीं किया गया है। ओलंपिक को लेकर अपने विचार मैरी ने एक स्पोर्ट्स अवार्ड में व्यक्त किए थे। तब उन्होंने कहा था कि उनका मुख्य उद्देश्य 2020 में ओलंपिक स्वर्ण हासिल करना है। उन्होंने कहा, 'मैं 2001 से जीत रही हूं और मैं लगभग हर उस जीत को हासिल कर चुकी हूं जो मुझे चाहिए थी। लेकिन मेरे अंदर अभी भी भूख बाकी है और ईमानदार से कहूं तो मेरा अभी भी एक बड़ा उद्देश्य पूरा होना बाकी है, और वह है ओलंपिक में स्वर्ण पदक। मैंने पहले कांस्य पदक जीता था, लेकिन मेरे पास स्वर्ण नहीं था। इसलिए मैं इसके लिए कमर कस रही हूं। अगर मैं इसे हासिल करती हूं, तो यह एक सपना सच होगा।