हालात से नहीं किया समझौताः
नवभारत टाइम्स में छपी खबर के अनुसार राजेश भले ही सड़क पर अपने भाई संग चाय बेचने को मजबूर हों लेकिन फिर भी वो अपने सपने को हकीकत बनाने के लिए आज भी संघर्ष करते हैं। इस खबर के अनुसार राजेश सुबह 5 से दोपहर 1 बजे तक दुकान पर रहते हैं और उसके बाद इसका जिम्मा अपने भाई को देकर वो अपने सपनों की नगरी में चले जाते हैं। राजेश को सरकार और लोगों से मदद की उम्मीद है ताकि वो अपना नाम पूरी दुनिया में रोशन कर सकें।
पिता का सपना साकार करना है लक्ष्यः
राजेश के इस जुनून के पीछे उनके पिता के सपनों का भी बड़ा हाथ है जिनको भरोसा था कि उनका बेटा एक दिन बड़ा बॉक्सर बनेगा। राजेश बताते हैं कि मैं पिता का सपना पूरा करने के लिए कुछ भी कर सकता हूं। बता दें कि राजेश जब स्कूल में थे तभी उनके पिता का कैंसर जैसी घातक बीमारी के कारण निधन हो गया था। राजेश ने प्रफेशनल करियर की पहली फाइट मनप्रीत सिंह से की थी। उसके बाद से उन्होंने 10 में से 9 फाइट जीती, जबकि एक ड्रॉ रही। उनके बॉक्सिंग के लेवल का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि वह लाइटवेट कटिगरी में भारत के नंबर वन बॉक्सर हैं, जबकि वर्ल्ड बॉक्सिंग काउंसिल (WBC) की रैंकिंग में उनका नंबर 221वां है।
विजेंदर से भी नहीं हो सकी है मुलाकातः
पिता के जाने के बाद घर चलाने की भी जिम्मेदारी राजेश पर आ गई थी ऐसे में उन्होंने पढ़ाई छोड़कर रिंग में उतरने का फैसला किया और साथ ही साथ आजीविका का साधन भी खोजा। वहीं, साथ ही साथ उनके रोल मॉडल विजेंदर का घर भले ही उनके घर से महज कुछ ही किमी दूर क्यों न हो लेकिन वो उनसे अभी मुलाकात नहीं कर सके हैं। उनसे मिलने के लिए वो एक बार गए भी थे लेकिन वो काफी बिजी थे तो मुलाकात नहीं हो सकी है। हालांकि राजेश का कहना है कि वो उनके जैसा बनना चाहते हैं और वो हमेशा उनके रोल मॉडल रहेंगे।