नई दिल्लीः भारत की लवलीना बोरगोहेन महिला वेल्टर (64-69 किग्रा) सेमीफाइनल में तुर्की की बुसेनाज सुरमेनेली से हार गईं। बुसेनाज का जलवा पहले राउंड से लेकर अंत तक हावी रहा। उन्होने लवलीना को 5-0 से मात दी लेकिन भारतीय मुक्केबाज ने जो किया वह भी कम नहीं था। इस हार के बावजूद उनका टोक्यो ओलंपिक सफर गौरवगाथा के साथ पूरा हुआ और उन्होंने देश की झोली में तीसरा मेडल डाल दिया जो एक कांस्य पदक है। पहला मेडल सिल्वर के रूप में वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने दिलाया तो दूसरा महिला बैडमिंटन में पीवी सिंधु ने कांस्य के रूप में दिलाया।
एक शानदार ओलंपिक के लिए उनको भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी और उनके हौसले की तारीफ करते हुए ट्वीट किया, "अच्छी लड़ाई लड़ी लवलीना बोरगोहेन! बॉक्सिंग रिंग में आपकी सफलता कई भारतीयों को प्रेरित करती है। आपका तप और दृढ़ संकल्प सराहनीय है। कांस्य जीतने पर बधाई। भविष्य के लिए शुभकामनाएं।"
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देश के राष्ट्रपति ने भी लवलीना की उपलब्धि पर बधाई देते हुए ट्वीट किया, "लवलीना बोरगोहेन को बधाई! अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से आपने देश का नाम ऊंचा किया है। ओलंपिक में आपका कांस्य पदक युवाओं, विशेषकर युवा महिलाओं को चुनौतियों से लड़ने और उनके सपनों को हकीकत में बदलने के लिए प्रेरित करेगा।"
लवलीना असम से ताल्लुक रखती हैं। यह मुकाबला असम के विधायक भी देख रहे थे। असम के मुख्यमंत्री एचबी शर्मा ने भी ट्वीट करते हुए कहा, "असम की बेटी लवलीना बोरगोहेन को ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल घर लाने के लिए बधाईयां। आपका नाम असम के इतिहास में सोने के अक्षरों में लिखा जाएगा। आपकी महान उपलब्धि के लिए पूरे देश को गर्व है।"
लवलीना देश की ऐसी केवल दूसरी महिला मुक्केबाज बनी हैं जिन्होंने ओलंपिक में मेडल जीता है। उनसे पहले लंदन 2012 में मैरी कॉम ने भी बॉक्सिंग में कांस्य पदक जीता था। ओवरऑल लवलीना तीसरी भारतीय हैं जिन्होंने ऐसा किया है। विजेंद्र सिंह ऐसा करने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज थे।