टोक्योः शुक्रवार को ओलंपिक में महिलाओं की वेल्टरवेट क्वार्टरफाइनल जीत ने लवलीना बोर्गोहिन के साथ पूरे देश को खुश कर दिया। भारत का एक और पदक पक्का हो गया है, हालांकि इसका रंग फिलहाल ब्रॉन्ज का है जिसको गोल्ड में बदलने के लिए लवलीना पूरा जोर लगाना चाहती हैं।
लवलीना ने चीनी ताइपे के विश्व नंबर 2 चेन निएन-चिन को 4-1 से हराने के तुरंत बाद कहा, "बहुत बड़ा दिन है। पर मुझे गोल्ड लेकर जाना है। मेडल तो जरूरी था। अब मैं खुल के खेल सकती हूं।"
विजेंदर सिंह (पुरुष मिडिलवेट कांस्य, बीजिंग 2008) और मैरी कॉम (महिला फ्लाईवेट कांस्य, लंदन 2012) के बाद बोरगोहेन ओलंपिक पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय मुक्केबाज हैं। वेल्टरवेट विश्व विजेता बुसेनाज सुरमेनेली के खिलाफ लवलीना का सेमीफाइनल मुकाबला होगा।
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बोरगोहेन ने पहले तीन बार चेन निएन-चिन का सामना किया था और तीनों मौकों पर हार गईं थी।
यह पूछे जाने पर कि आज के मुकाबले में उनकी रणनीति क्या है, उन्होंने कहा, "मैं उनसे तीन बार हार चुकी थी। मैं उनके साथ मुकाबला करने से पहले बहुत योजना बनाती थी... मैं उनका खेल जानती हूं, इसलिए इस बार मैं आक्रमण कर रही थी। गेट-गो। मेरा खेल काउंटर करना है लेकिन आज मैंने अपने तरीकों को बदल दिया था।"
उन्होंने आगे कहा, "कोई रणनीति नहीं थी क्योंकि अगर हम एक योजना के साथ जाते हैं, तो प्रतिद्वंद्वी आपको ऑफ-गार्ड पकड़ सकता है। योजना प्रतिद्वंद्वी की मैरिट पर खेलने की थी। मैंने किसी भी स्थिति को संभालने के लिए खुद का समर्थन किया। मैं पिछले आठ वर्षों से कठिन मेहनत कर रही हूं। उस सारे प्रयास को आज रिंग में लाना चाहती थी।"
बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट अजय सिंह का भी कहना है कि, यह एक ऐसी खबर है जिसे सुनने का हम सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। यह सिर्फ बॉक्सिंग के लिए ही नहीं बल्कि असम और पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। यह वास्तव में लवलीना का एक बहुत ही साहसी प्रयास था। वह पिछले साल कोविड से पीड़ित थी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी मां भी जानलेवा बीमारी से जूझ रही थी। लेकिन लवलीना पैदाइशी फाइटर हैं।