टोक्यो । टोक्यो ओलंपिक में वेल्टरवेट महिला मुक्केबाजी सेमीफाइनल मुकाबले के दाैरान भारत की लवलिना बोरगोहेन को तुर्की की विश्व नंबर-1 मुक्केबाज बुसेनाज सुरमेनेली ने हरा दिया है। इसी के साथ लवलीना का गोल्ड मेडल जीतने का सपना टूट गया, लेकिन उन्हें ब्राॅन्ज मेडल से ही संतोष करना पड़ा। मुक्केबाजी में सेमीफाइनल में हारने पर भी मुक्केबाज को ब्राॅन्ज मेडल दिया जाता है।
भले लवलीना हार गईं, लेकिन उन्होंने इतिहास रच दिया है। वह बाॅक्सिंग में मेडल जीतने वाली दूसरी महिला मुक्केबाज बन गई हैं, जबकि तीसरी भारतीय मुक्केबाज नहीं है। लवलीना से पहले बीजिंग ओलंपिक खेल-2008 में विजेंद्र सिंह और लंदन ओलंपिक खेल-2012 में मैरी काॅम ने भारत के लिए ओलंपिक में ब्राॅन्ज मेडल जीता था। अब टोक्यो 2020 में भारतीय पदकों की संख्या तीन हो गई है। पहला मेडल सिल्वर के रूप में वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने दिलाया तो दूसरा महिला बैडमिंटन में पीवी सिंधु ने ब्राॅन्ज के रूप में दिलाया।
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लवलीना ने पहले राउंड में साहस दिखाया, लेकिन जजों ने बुसेनाज को प्रभावी माना। जजों ने पहले राउंड में सर्वसम्मति बुसेनाज के प्रहारों को ज्यादा प्रभावी माना और 5-0 से उनके पक्ष में फैसला दिया।
लवलिना ने दूसरे राउंड में भी वापसी करने की हिम्मत दिखाई, लेकिन बुसेनाज का अनुभव काम आया। बुसेनोज ने केवल अंक बटोरने और लवलीना के शरीर के करीब रहकर उन्हें आक्रमण से रोकने पर ध्यान दिया। राउंड के अंत में लवनीना को पेनाल्टी भी पड़ी क्योंकि उन्होने रेफरी की खेल रोकने की सीटी बजने के बाद भी बुसेनोज पर अटैक करना जारी रखा।
लवलीना ने भारत के लिए ब्राॅन्ज मेडल 30 जुलाई को ही सुनिश्चित कर लिया था। क्वार्टर फाइनल मुकाबले में चीनी ताइपे की निएन-चिन चेन को हराकर लवलीना ने सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। इसी मैच के साथ उन्होंने अपना मेडल पक्का किया था।