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बेटियों का कमाल : एक बहन ने किया मेडल पक्का, दूसरी देश की रक्षा में तैनात

जोधपुर : टोक्यो ओलंपिक 2020 में मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में भारत को सिल्वर मेडल दिलाया। अब उनके बाद एक और मेडल पक्का हो गया है। बाॅक्सर लवलीना बेरगोहेन ने वेल्टरवेट वर्ग के क्वार्टर फाइनल में चीनी ताइपे की चेन नियान चिन को 4-1 से हराया। वो सेमीफाइनल में पहुंच गईं, साथ ही एक मेडल भी पक्का हो गया। लवलीना का गांव खुशी में डूबा हुआ है, साथ ही पूरा असम भी। रोचक बात यह है कि लवलीना असम से पहली ऐसी महिला हैं जिन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था और शिव थापा के बाद राज्य की दूसरी मुक्केबाज हैं जिसने जिसने देश का प्रतिनिधित्व किया।

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लवलीना की बहन एयरपोर्ट पर है तैनात

लवलीना की बहन एयरपोर्ट पर है तैनात

कमाल की बात यह है कि लवलीना की बड़ी बहन भी देश के लिए काम कर रही हैं। उनकी बहन लीमा जोधपुर एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ में तैनात हैं। जब लवलीना ने अपना एक मेडल पक्का किया तो एयरपोर्ट पर ही लीमा जश्न मना रही हैं। एयरपोर्ट के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों ने लीमा को उनकी बहन के मेडल जीतने पर शुभकामनाएं दी है। लीमा अपनी बहन के प्रदर्शन से बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा, ''लवलीना के मेडल जीतने से उन्हें गर्व महसूस हो रहा है। वो अपनी मेहनत और लगन से इस मुकाम तक पहुंची है।''

मां ने किया बेटियों को बढ़ने के लिए प्रेरित

मां ने किया बेटियों को बढ़ने के लिए प्रेरित

लीमा ने अपनी बहन लवलीना के मेडल जीतने का श्रेय अपनी मां को दिया। लीमा ने कहा, ''मां शुरू से ही हमें खेलकूद व पढ़ाई में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थीं।'' जोधपुर एयरपोर्ट पर जश्न के माहौल के बीच सभी ने लीमा को शुभकामनाएं दीं, लेकिन सबको यह भी उम्मीद है कि वो देश के लिए गोल्ड मेडल जीतेंगी।

सबसे छोटी हैं लवलीना

सबसे छोटी हैं लवलीना

लवलीना असम के गोलाघाट जिले से है। तीन बहनों में से लवलीना सबसे छोड़ी हैं। उसकी दो बड़ी बहने हैं जो जुड़वा हैं। उनका नाम है लिचा और लीमा। इन्होंने भी राष्ट्रीय पर किकबॉक्सिंग में भाग लिया, लेकिन आर्थिक तंगी से उसे आगे जारी नहीं रख सकी। लवलीना ने भी अपना करियर एक किकबॉक्सर के तौर पर शुरू किया था लेकिन बाद में उन्होंने बाॅक्सिंग में अपना करियर बनाना शुरू कर दिया। वहीं लीमा ने एयरपोर्ट की नाैकरी शुरू कर अपने माता-पिता का नाम राैशन किया। लवलीना की माता का नाम टिकेन है और पिता का मामोनी बोरगोहेन है, जो एक लघु-स्तरीय व्यापारी है। अपनी बेटी का भविष्य संबारने के लिए उनके पिता ने कड़ा संघर्ष किया और उस संघर्ष का परिणाम आज सारी दुनिया के सामने है।

Story first published: Saturday, July 31, 2021, 14:06 [IST]
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