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पदक से एक कदम दूर लवलीना बोरगोहेन का छोटे से गांव से ओलंपिक तक का सफर, इस बात से लगता था काफी डर

टोक्यो, 27 जुलाई। भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ओलंपिक में मेडल से अब सिर्फ एक कदम दूर हैं। जिस तरह से उन्होंने जर्मनी की नदीन अपेज को हराकर क्वार्टरफाइनल में जगह बनाई उसके बाद देश को एक और ओलंपिक पद की उम्मीद जग गई है। अपनी जीत के बाद लवलीना ने कहा कि ओलंपिक में जाना मेरा सपना था, जबसे मैंने बॉक्सिंग की शुरुआत की उसके बाद उजबेकिस्तान की मफ्तुनाखो मेलिवा के खिलाफ मेरी जीत उस दिशा में पहला कदम था। लवलीना का जन्म असम के गोलघाट जिले के बारो मुखिया गांव में हुआ था।

मुझे बॉक्सिंग के बारे में कुछ पता नहीं था
जब साई कोच पदुम बारो 2012 में बारो मुखिया गांव आए तब लवलीना ने भी ट्रायल दिया और गुवाहाटी में ट्रेनिंग का मौका मिला। उनके इस चयन का मतलब था था कि लवलीना को गांव छोड़ना पड़ा और गांव से 300 किलोमीटर दूर शहर में जाना पड़ा। लवलीना ने कहा कि मुझे बॉक्सिंग के बारे में कुछ नहीं पता था मैं बस मैरी कॉम दीदी के बारे में स्थानीय अखबार में पढ़ा करती थी। जब बारो सर ने मेरा बॉक्सिंग में चयन किया, तो हमारे कुछ रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने माता-पिता से कहा कि वो अपनी बेटी को ट्रेनिंग के लिए गुवाहाटी ना भेजे, लेकिन मेरे माता-पिता ने मेरा और मेरा साथ दिया

इस बात से हिचकिचाती थीं
वर्ष 2016 के अंत में लवलीना को 75 किलोग्राम के सीनियर वर्ग में शामिल किया गया। लवलीना अपने प्रतिद्वंदी को मारने से डरती थीं। उस दौरान लवलीना को संध्या गुरुंग कोचिंग दे रही थीं। संध्या ने बताया कि कई जूनियर खिलाड़ी सीनियर खिलाड़ी को मारने में डरते हैं, ऐसा ही लवलीना के साथ भी था। हमने उनके साथ काम किया, उनकी लेग पोजीशन समेत तमाम खामियो को दूर किया। वियतनाम में एशियन चैंपियनशिप से पहले लवलीना की मुलाकात पूना बेनीवाल से हुई जोकि 2006 में कॉमनवेल्थ गेम के चैंपियन अखिल कुमार की पत्नी थीं। बेनीवाल ने लवलीना से कहा कि वह अपने पैर का इस्तेमाल करें और दो बार की अमेरिका की चैंपियन क्लेरेसा शील्ड के वीडियो देखें।

वीडियो देख घंटों प्रैक्टिस की
लवलीना ने कहा कि संध्या मैम ने मुझे प्राथमिक चीजें सिखाईं, मुझे काउंटर अटैक करना सिखाया। जब मैं नेशनल कैंप में आई तो मैं मैरी कॉम, पूजा रानी जैसों के पास जाने से हिचकिचाती थी, लेकिन मैंने समय बिताया। फिर मैं उनसे टिप लेने में हिचकिचाती नहीं थी। जब पूनम मैम ने मुझे बताया कि मुझे क्लेरेसा के वीडियो देखने की सलाह दी तो मैं घंटों उनके वीडियो देखती थी और उसे देखकर अभ्यास करती थी।

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पिछले दो साल में हुआ काफी सुधार
पिछले दो साल की बात करें तो लवलीना ने दो कांस्य पदक दिल्ली और रूस में 2018 व 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीते। लवलीना की इटैलियन कोच ने बताया कि शुरुआत में मैंने उनका लेग मूवमेंट सही कराया, उन्हें समझाया कि वह अलग-अलग ऐंगल से हमले करने के लिए शरीर को मूव कर सकती हैं। उनकी ताकत उनका स्टैमिना है, पिछले दो साल में उनका रिएक्शन टाइम काफी बेहतर हुआ है।

Story first published: Tuesday, July 27, 2021, 14:41 [IST]
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