नई दिल्ली: भारत की स्टार मुक्केबाज मैरी कॉम को विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में कांस्य पदक के साथ संतोष करना पड़ा है। मैरी कॉम शनिवार को इस प्रतियोगिता के सेमीफाइनल मुकाबले में हारकर बाहर हो गईं है। छह बार की विश्व चैंपियन मैरी कॉम को तुर्की की बुसेनाज़ काकीरोग्लू से 1-4 से हारना पड़ा जिसके चलते 36 साल की मैरी ब्रॉन्ज मेडल ही हासिल कर पाई हैं। यह मुकाबला 51 किग्रा भार वर्ग में हो रहा था।
इस मैच में भारत ने रेफरी के उस फैसले के खिलाफ अपील करने का फैसला किया है जिसमें कहा गया है कि तुर्की की बुसेनाज़ काकीरोग्लू ने मैरी कॉम को हराया है। लेकिन भारत की यह अपील ठुकरा दी गई है। इस मैच में भी मैरी कॉम ने अपनी प्रतिद्वंदी के खिलाफ संभलकर शुरुआत की। दूसरे राउंड में मैरी कॉम लय ने आक्रामकता अपनाई। उन्होंने कई जैब और हुक लगाए। लेकिन यूरोपियन चैंपियन ने भी मुकाबला में खुद को शानदार तरीके से बनाए रखा और दूसरा बाउट कांटे की टक्कर के साथ समाप्त हुआ।
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तीसरे राउंड में काकीरोग्लू ने दमदार जैब और हुक लगाते हुए कई महत्वपूर्ण अंक हासिल किए और बाद में काकिरोग्लू के पक्ष में फैसला सुनाया गया। बता दें कि छह विश्व खिताबों के अलावा, मैरीकॉम के अपने करियर में ओलंपिक कांस्य पदक (2012), पांच एशियाई खिताब, एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जबरदस्त प्रदर्शन किया है।
मैरी कॉम ने इस चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में कोलंबिया की इंग्रिट वालेंसिया को हराकर एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में प्रवेश किया था। यह विश्व चैंपियनशिप में उनका आठवां पदक है। रूस में हो रही इस प्रतियोगिता में मैरी कॉम बाउट के दौरान काफी शांत और आश्वस्त दिखाईं दीं। उन्हें अच्छा जन समर्थन भी मिला। पहले दौर की गहमागहमी के बाद, मैरी कॉम ने अगला मुकाबला और भी कड़ाई से खेला बाद में 5-0 के सर्वमत फैसले के माध्यम से अपनी प्रतिद्वंदी को मात दे दी।
मैरी कॉम ने मंगलवार को प्री-क्वार्टर फाइनल में थाईलैंड की जितपंग जूटामस को हराया था। मैरी कॉम 2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018 चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुकी हैं। छठे मेडल के साथ ही वे दुनिया की सबसे सफल महिला मुक्केबाज बनी थी। मैरी ने पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में 48 किग्रा भार वर्ग में यूक्रेन की मुक्केबाज हन्ना ओकहोटा को मात दी थी। ये मुकाबला जीतकर उन्होंने अपना ऐतिहासिक छठा गोल्ड हासिल कर लिया था।