अपने ही रिकॉर्ड को बनाया लाजवाब-
इस जीत के बाद उन्होंने कहा है कि वे यह मैच जीतकर काफी खुश हैं और अब वह देश के लिए सर्वाच्च पदक जीतना चाहती हैं। बता दें कि यह विश्व चैंपियनशिप में उनका रिकॉर्ड आठवां पदक होगा। इससे पहले वे विश्व चैंपियनशिप में 6 गोल्ड मेडल और एक सिल्वर जीत चुकी हैं। मैरी कॉम 2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018 चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुकी हैं। छठे मेडल के साथ ही वे दुनिया की सबसे सफल महिला मुक्केबाज बनी थी। मैरी ने पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में 48 किग्रा भार वर्ग में यूक्रेन की मुक्केबाज हन्ना ओकहोटा को मात दी थी। ये मुकाबला जीतकर उन्होंने अपना ऐतिहासिक छठा गोल्ड हासिल कर लिया था। ऐसा करने वाली वे दुनिया की पहली मुक्केबाज भी बन गई थीं। अब एक बार फिर से वे ऐसा करने की दहलीज पर खड़ी हैं।
अपेक्षाओं के दबाव के बीच लगातार कमाल का प्रदर्शन-
मैरी कॉम अब शनिवार, 12 अक्टूबर को सेमीफाइनल में चीन की काई ज़ोंगजू या तुर्की की काकीरोग्लू बुसेनाज़ से भिड़ेंगी। वर्ल्ड चैंपियनशिप शुरू होने से पहले मैरी कॉम ने 23वें प्रेसिडेंट्स कप टूर्नामेंट के फाइनल में गोल्ड मेडल हासिल किया था। जब मैरी कॉम विश्व चैंपियनशिप के लिए भारत से रवाना हो रही थीं तब उन्होंने एक बात कही थी कि वे जीत के लिए अपनी जी-जान लगा देंगी लेकिन हर बार पदक जीतने की गारंटी वे नहीं ले सकती है। इसका कारण यह है कि खेल में कोई भी खिलाड़ी अपराजेय नहीं होता। उन्होंने तब कहा था, 'मैं हर बार ये कहती हूं, मैं अपना बेस्ट दूंगी लेकिन पदक की गारंटी नहीं दे सकती। मैं अपने आप से भी ये कहती हूं लेकिन यहां बहुत ज्यादा दबाव है इसलिए काफी स्ट्रैस हैंडल करना होता है। ये आपको नर्वस बनाता है।'
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'मैग्नीफिशेंट मैरी' के लिए शानदार साल-
निश्चित तौर पर मैरी के लिए अभी प्रतियोगिता में दो बड़े मैच बाकी हैं और वे जिस दबाव की बातें कर रही हैं उसको निकालकर ही एक और इतिहास रचा जा सकता है। मैरी पहले भी ऐसा करती रही हैं इसलिए इस बार भी उनसे उम्मीदें लगाना गलत नहीं होगा। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि ये साल मैरी के लिए शानदार रहा है। उन्होंने मई में इंडिया ओपन बॉक्सिंग टूर्नामेंट में भी गोल्ड मेडल जीता था। जबकि इस साल की शुरुआत ही उनके लिए बेहतरीन हुई थी और 'मैग्नीफिशेंट मैरी' अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) की विश्व रैंकिंग में टॉप पर आई थी। भारत में महिला सशक्तिकरण की पर्याय बन चुकी मैरी कॉम को इसी साल अगस्त में एशिया की सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट भी चुना गया था। यह अवॉर्ड एशियन स्पोर्ट्सराइटर्स यूनियन द्वारा दिया गया है। मलेशिया में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में मैरीकॉम के अलावा पुरुष वर्ग में दक्षिण कोरिया के फुटबॉलर हेयुंग मिन सोन को एशिया का सर्वश्रेष्ठ एथलीट चुना गया।
विरोधियों को छकाने की नई तरकीब-
अब मैरी के लिए शनिवार को एक अहम मुकाबला होगा। यह बात कम ही लोगों को पता है कि मैरी इस बार की विश्व चैंपिनयशिप में एक नई रणनीति के साथ उतरी हैं। मैरी ने इस बारे में बात करते हुए एक अंग्रेजी वेबसाइट से खुलासा किया था कि वे अपनी विपक्षी खिलाड़ियों को दिखाएंगी कि वे कहां पंच मारने जा रही हैं लेकिन तभी वे कहीं और पंच मारेंगी। इसके लिए उन्होंने अभ्यास भी किया है। उन्होंने कहा था, 'मैं विरोधी को पंच मारने का ढोंग करूंगी लेकिन असलियत में कुछ और ही योजना होगी। ये ऐसा होगा कि जैसे मैं उसके बॉडी के लिए जा रही हूं लेकिन असल निशाना जैब होगा। ये सब अपनी टाइमिंग सुधारने का खेल है। मैंने इसमें दक्षता हासिल कर ली है।'
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केवल एक सपना जो पूरा होना है बाकी-
बता दें कि मेरीकॉम को 2020 ओलंपिक का सपना पूरा करने के लिए 51 किग्रा में खेल रही हैं क्योंकि 48 किग्रा को अभी तक खेलों के वजन वर्ग में शामिल नहीं किया गया है। ओलंपिक को लेकर अपने विचार मैरी ने पिछले दिनों एक स्पोर्ट्स अवार्ड व्यक्त किए थे। तब उन्होंने कहा था कि उनका मुख्य उद्देश्य 2020 में ओलंपिक स्वर्ण हासिल करना है। उन्होंने कहा, 'मैं 2001 से जीत रही हूं और मैं लगभग हर उस जीत को हासिल कर चुकी हूं जो मुझे चाहिए थी। लेकिन मेरे अंदर अभी भी भूख बाकी है और ईमानदार से कहूं तो मेरा अभी भी एक बड़ा उद्देश्य पूरा होना बाकी है, और वह है ओलंपिक में स्वर्ण पदक। मैंने पहले कांस्य पदक जीता था, लेकिन मेरे पास स्वर्ण नहीं था। इसलिए मैं इसके लिए कमर कस रही हूं। अगर मैं इसे हासिल करती हूं, तो यह एक सपना सच होगा।