नई दिल्ली। 1983 में भारत को पहली बार विश्व कप जिताने वाली टीम का हिस्सा रहे हरफनमौला खिलाड़ी रोजर बिन्नी ने साउथैम्पटन में खेले गये विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल मैच में भारतीय टीम की गेंदबाजी की जमकर आलोचना की है। इतना ही नहीं रोजर बिन्नी ने दूसरी पारी में भारतीय गेंदबाजों के प्रदर्शन को शर्मनाक बताते हुए जमकर लताड़ने का काम किया है। बिन्नी ने भारतीय गेंदबाजों की बात करते हुए कहा कि मैच के तीसरे दिन भारतीय गेंदबाजों ने कीवी टीम को 2 विकेट के नुकसान पर 101 रन बना लेने दिये और इसी स्कोर पर उस दिन का खेल खत्म कर साफ कर दिया कि उनकी गेंदबाजी कितनी कमजोर है।
बिन्नी का मानना है कि भारतीय गेंदबाजों का प्रदर्शन आदर्श गेंदबाजी से कोसों दूर रहा जिन्हें 2 विकेट हासिल करने के लिये इतनी मशक्कत करनी पड़ी और उसके बाद भी सिर्फ सलामी बल्लेबाजों को ही वापस पवेलियन भेज सके।
न्यूज 18 से बात करते हुए बिन्नी ने कहा,' रविवार को भारतीय गेंदबाजों का प्रदर्शन देख कर काफी निराशा हुई। यह इंग्लैंड में खेले जा रहे टेस्ट मैच में गेंदबाजी करने का कोई तरीका नहीं है। गेंदबाजों का प्रदर्शन पूरी तरह से शर्मनाक था। आपकी विपक्षी टीम ने क्या किया। उनके सामने यह किस तरका प्रदर्शन था, आप एक टेस्ट मैच खेलने उतरे हैं, प्रैक्टिस नहीं कर रहे। जब आप गेंदबाजी कर रहे हैं तो आप बल्लेबाज के हाफ पर गेंद फेंकना होता है न कि अपने हाफ पर। उन्हें शॉट खेलने पर मजबूर करना था। आप जितनी छोटी गेंद फेंकेंगे गेंद उतनी ही सीम करती। आपको विकेट लेने के लिये आक्रामक गेंदबाजी करनी थी न कि डिफेंसिव।'
गौरतलब है कि चौथे दिन का खेल बारिश के चलते धुल गया था लेकिन मैच के 5वें दिन भारतीय टीम ने मोहम्मद शमी (4/76) और इशांत शर्मा (3/48) के दम पर कीवी टीम को 249 पर समेट दिया। हालांकि कीवी टीम ने 32 रनों की बढ़त हासिल कर ली। कीवी टीम के आखिरी 5 बल्लेबाजों ने 71 रनो का योगदान दिया।
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बिन्नी ने इसको लेकर कहा,'भारतीय गेंदबाज बचने के लिये गेंदबाजी कर रहे थे। मैं इंग्लैंड में खेले जा रहे टेस्ट मैच में ऐसी गेंदबाजी देखकर हैरान रह गया। विपक्षी टीम आपको सीमिंग गेंदों से धराशायी कर रही है और आपको बस उन्हें देख कर अगले दिन गेंदबाजी करनी थी। आपको गेंद को ऊपर डालना था। भारतीय गेंदबाज नौसिखिये नहीं है। आप वहां बैठे हैं और कीवी गेंदबाजों को गेंद फेंकते देख रहे हैं। यहां पर आपको सीखना था। क्या भारतीय बल्लेबाजों ने यह नहीं सीखा कि उन्होंने क्या किया।'