भाई दोस्तों ने उड़ाया था जमकर मजाक
उन्होंने कहा,'मेरा जन्म 1981 में हुआ था लेकिन मेरे दिमाग में विश्व कप को लेकर पहली याद 1992 की है। यह पहला विश्व कप था जब टीमें रंग बिरंगे ड्रेस में और सफेद गेंद के साथ खेल रही थी। भारत पहले ही दौर से बाहर हो गया था और जब उसका सफर समाप्त हुआ तो मैं घंटो रोया था। मेरे चचेरे भाइयों और दोस्तों ने इस बात का काफी मजाक उड़ाया जो कि एक बच्चे के तौर पर मेरे लिये काफी बुरा था। मैंने उसी वक्त तय किया था कि एक दिन में भारत के लिये विश्व कप जीतने कर दिखाऊंगा।'
लगा था नहीं होगा विश्व कप खेलने का सपना पूरा
हालांकि खिताब के लिये उनकी यह राह आसान नहीं थी जब तक कि वो 2011 विश्व कप में नहीं खेले और अपने उम्दा प्रदर्शन से टीम को जीत दिलाने का काम नहीं किया। गंभीर ने आगे बताया कि कई बार उन्हें लगता था कि शायद उन्हें देश के लिये विश्व कप खेलने का मौका भी नहीं मिलेगा लेकिन 2011 विश्व कप में उन्हें यह मौका मिला और उसके बाद का सब कुछ सिर्फ इतिहास है।
उन्होंने कहा,'2011 से पहले तक मैंने एक बार भी 50 ओवर विश्वकप टूर्नामेंट नहीं खेला था और कई बार ऐसा लगता था कि जैसे मुझे यह मौका कभी मिलेगा भी नहीं। लेकिन तभी भगवान ने मेरे सामने मौके पेश किये। मैं खुश हूं कि 2 अप्रैल 2011 हमारे जीवन में संभव हुआ जिसके चलते हर भारतीय का विश्व कप जीतने का सपना पूरा हो सका।'
गंभीर-धोनी की साझेदारी से सच हुआ सपना
गौरतलब है कि गौतम गंभीर ने 2011 विश्व कप फाइनल में अपने सपने को जीने का काम किया और सचिन तेंदुलकर (18), वीरेंदर सहवाग (0) के जल्दी आउट हो जाने के बाद कप्तान एमएस धोनी के साथ अपनी 97 रनों की जुझारू पारी के दम पर 109 रनों की साझेदारी की। गंभीर को थिसारा परेरा ने शतक से 3 रन पहले आउट कर वापस पवेलियन भेजने का काम किया तो वहीं पर धोनी ने दबाव को सोखने का काम किया और युवराज के साथ मिलकर टीम को विश्व कप खिताब जिताने का काम किया।
धोनी के विजयी छक्के ने न सिर्फ करोड़ों भारतीयों के सपने को पूरा किया बल्कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के देश के लिये विश्व कप जीतने के सपने को भी पूरा किया। भारत ने 1983 के बाद पहली बार वनडे विश्व कप में जीत हासिल की थी। धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम को 2011 विश्व कप में सिर्फ एक बार साउथ अफ्रीका के सामने हार का सामना करना पड़ा था। सेमीफाइनल में पाकिस्तान को हराने के बाद भारत ने श्रीलंका को फाइनल में पछाड़कर खिताब जीतने का काम किया।