वीवीएस लक्ष्मण (VVS Laxman)
भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज खिलाड़ियों में वीवीएस लक्ष्मण भी एक ऐसा नाम रहा है जिन्होंने भारतीय टीम के लिये कई यादगार पारियां खेली। भारतीय टेस्ट क्रिकेट में कई सालों तक उन्होंने मध्यक्रम में बल्लेबाजी की और टीम को कई यादगार जीत दिलाई। इनमें से एक जीत ईडन गार्डन्स की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली 281 रनों की नाबाद पारी भी शामिल रही।
लक्ष्मण ने अपने करियर में जिस तरह की बल्लेबाजी की उस हिसाब से उनके करियर का अंत काफी निराशाजनक हुआ। धोनी की कप्तानी में कुछ साल खेलने के बाद लक्ष्मण को साल 2012 में अचानक से टीम से बाहर कर दिया जिसके बाद वीवीएस लक्ष्मण ने दुखी होकर संन्यास का ऐलान कर दिया। खबरों की मानें तो धोनी ने फील्डिंग के दौरान धीमा होने के चलते उन्हें टीम से बाहर करने की बात कही थी।
वीरेन्द्र सहवाग (Virender Sehwag)
भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल सलामी बल्लेबाजों में से एक वीरेंद्र सहवाग के बारे में कौन नहीं जानता, भारतीय टीम में उनका कद कितना बड़ा था इस बारे में शायद ही किसी को बताने की जरूरत हो। अपने करियर के दौरान सहवाग ने खेल के तीनों ही प्रारूपों में भारत के लिये सलामी बल्लेबाज की भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने शानदार बल्लेबाजी करते हुए कई बड़े रिकॉर्ड अपने नाम किये।
सहवाग ने भारत के लिये कई सालों तक बल्लेबाजी में अहम भूमिका निभाई लेकिन साल 2011 में हउए विश्व कप के बाद टीम में उन्हें तवज्जों मिलना कम हो गया। इतना ही नहीं बड़ी मुश्किल से सहवाग को साल 2013 में आखिरी बार भारतीय टीम के लिये खेलने का मौका मिला जिसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया।
सहवाग ने अगले 2 साल तक वापसी का इंतजार किया लेकिन जब उन्हें मौका नहीं मिला तो साल 2015 में अपने जन्मदिन के मौके पर उन्होंने संन्यास लेने का फैसला कर लिया।
राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid)
भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी और फैन्स के बीच द वॉल के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ को भी अपने करियर में इसका सामना करना पड़ा। भारतीय क्रिकेट इतिहास की बात करें तो राहुल द्रविड़ ने सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली जैसा ही योगदान भारतीय टीम के विकास में दिया।
राहुल द्रविड़ ने अपने करियर के दौरान वनडे और टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी करते हुए टीम को कई बार यादगार जीत से रूबरू कराया। हालांकि राहुल द्रविड़ के करियर का अंत भी ऐसा नहीं हुआ जिसके वो हकदार थे।
धोनी के कप्तान बनने के बाद राहुल द्रविड़ को धीरे-धीरे टीम से साइड किया जाने लगा और विश्व कप 2011 की टीम में भी उनका चयन नहीं हुआ था जिसके बाद उन्होंने साल 2011 में अपने करियर को अलविदा कहने का फैसला कर लिया।