गौतम गंभीर (Gautam Gambhir)
भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर के बारे में कौन नहीं जानता, 2007 का टी20 विश्व कप फाइनल हो या फिर 2011 का, गौतम गंभीर ने दोनों ही मैचों में मुश्किल समय में स्थिति को संभाला और भारतीय टीम को विश्व विजेता बनाने में अहम भूमिका निभाई। गंभीरी ने अपने करियर का आखिरी वनडे मैच साल 2013 में इंग्लैंड के खिलाफ धर्मशाला में खेला था जबकि साल 2016 में वह आखिरी बार टेस्ट क्रिकेट में नजर आये थे।
अपने एग्रेशन और मुखर अंदाज के चलते गौतम गंभीर से टीम मैनेजमेंट और चयनकर्ताओं के बीच अक्सर विवाद देखने को मिलता और यही उनके करियर को छोटा करने के पीछे की बड़ी वजह रहा। हाल ही में पूर्व चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने एक इंटरव्यू के दौरान साफ किया था कि अगर गंभीर ने अपने गुस्से और भावनाओं को नियंत्रित कर लिया होता तो उनका क्रिकेट करियर लंबा चल सकता था।
उल्लेखनीय है कि घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद गंभीर की भारतीय टीम में वापसी नहीं हो पा रही थी।
अंबति रायडू (Ambati Rayudu)
मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स जैसी टीमों के लिये आईपीएल में कई मैच जिताऊ पारियां खेलने वाले अंबति रायडू के विवाद के बारे में तो लगभग हर कोई जानता है। सुरेश रैना के चोटिल होने और युवराज सिंह के टीम से बाहर चलने के बाद से भारतीय क्रिकेट टीम सीमित ओवर्स प्रारूप में लगातार 4 नंबर के बल्लेबाज पर मुश्किलों का सामना करती नजर आ रही थी। कई खिलाड़ियों को आजमाया गया लेकिन कुछ मैच के बाद हर बार खिलाड़ी बेहाल हो जाता था। आखिरकार साल 2017 में चयनकर्ताओं ने अंबति रायडू को इस नंबर पर खिलाना शुरु किया और उन्होंने शानदार प्रदर्शन भी किया। इसके बाद यह तय लग रहा था कि अंबति रायडू का विश्व कप 2019 की टीम में खेलना तय है।
हालांकि जब टीम चुनने की बात आई तो चयनकर्ताओं ने अंबति रायडू को यह कहकर दरकिनार कर दिया कि भारतीय टीम को 3डी प्लेयर की जरूरत है जो बल्लेबाजी के अलावा गेंदबाजी और फील्डिंग भी कर सके और उनकी जगह विजय शंकर को शामिल किया गया। इतना ही नहीं जब शुरुआती कुछ मैचों के बाद विजय शंकर चोट के चलते बाहर हो गये तब भी चयनकर्ताओं ने उनकी जगह ऋषभ पंत को विश्व कप के लिये भेजा।
टीम में चयन न होने से रायडू इतना निराश हुए की उन्होंने अपने संन्यास का ऐलान कर दिया था। हालांकि दोबारा विचार करने के बाद वह फिर से घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं।
शोएब अख्तर (Shoaib Akhtar)
बीसीसीआई की तरह भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी बोर्ड खिलाड़ियों को लेकर काफी राजनीति करते देखा गया है। इस दौरान हम बेहद खास खिलाड़ी और पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर की बात करेंगे जो अक्सर अपनी बेबाक राय के चलते विवादों में छाये रहे। हालांकि पीसीबी की राजनीति के चलते उनका भी करियर बर्बाद हो गया। 2011 विश्व कप में खेले गये सेमीफाइनल मैच में भारत के हाथों हारने के बाद पाकिस्तान की टीम ने शोएब अख्तर को दोबारा टीम में शामिल होने का मौका नहीं दिया। अपने करियर के दौरान अख्तर ने 46 टेस्ट मैच में 178 विकेट लिए जबकि163 वनडे मैचों में 247 विकेट लिए हैं। वहीं 15 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 22.74 की औसत से 19 विकेट लिए हैं।
केविन पीटरसन (Kevin pietersen)
टीम मैनेजमेंट की राजनीति का शिकार होने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट में आखिरी नाम इंग्लैंड के बल्लेबाज केविन पीटरसन का है। पीटरसन ने साल 2014 में आखिरी बार खेला था जब वह सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर ऑस्ट्रलिया के खिलाफ मैच खेलने उतरे थे। इसी साल आईपीएल और ईसीबी के लिये खेलने को लेकर पीटरसन औऱ बोर्ड के अधिकारियों के बीच झड़प भी देखने को मिली थी, और बोर्ड उन्हें आईपीएल खेलने की इजाजत नहीं दे रहा था।
इससे पहले भी उनका अपने कोच एंडी फ्लावर के साथ विवाद हो गया था। वहीं एंड्रयू स्ट्रॉस से भी उनकी नही बन पा रही थी। जिसका खामियाजा उन्हें टीम से बाहर होकर चुकाना पड़ा था।