तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts
 

वो चार कारण जिसकी वजह से महेंद्र सिंह धोनी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह देना चाहिए

नई दिल्ली। जिंदगी के 37 वसंत देख चुके भारतीय पूर्व कप्तान और स्टार क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने पहली बार वो देखा है जिसकी शायद ही उम्मीद उन्होंने की होगी। उनके प्रशंसकों ने और खुद उन्होंने शायद ही सोचा होगा कि महेंद्र सिंह धोनी को टीम से बाहर का रास्ता भी दिखाया जाएगा। लेकिन यह हो गया है। ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के खिलाफ धोनी को भारतीय टीम से ड्राप कर दिया गया है। उनकी जगह ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक को जगह मिली है।
विकेट के पीछे धोनी हमेशा से शानदार रहे हैं। उनके फैंस उन्हें 2019 तक टीम में बने रहना देखना चाहते हैं।और इसके बाद वो धोनी की शानदार विदाई भी चाहते होंगे। धोनी का मैदान पर दबदबा कायम है कई बार डीआरएस सिस्टम को धोनी रिव्यू सिस्टम भी कहा गया है । रिव्यू के समय धोनी की नजर काफी पैनी होती है और उनका द्वारा लिया रिव्यू अक्सर टीम इंडिया के पक्ष में जाता है। विराट कोहली खुद धोनी से पिच पर डीआएस के समय मदद मांगते देखे गए हैं। इतना ही नहीं कोहली ने तो कई बार कॉन्फ्रेंस में कहा है कि वह रिव्यू के लिए धोनी की मदद मांगते हैं और उसका फायदा भी टीन को मिलता है। खैर यहां तक ठीक है आगे मूल सवाल यह है कि धोनी के अंदर का बल्लेबाज कहां दफन हो गया है।2004 में टीम आने वाला वह धोनी जिसने बल्लेबाजी की दम पर टीम में जगह पक्की की उस धोनी की तलाश कहां की जाए।

क्या यह टीम इंडिया को विश्व चैंपियन बनाने वाले 'कैप्टन कूल' माही के करियर का अंत है? क्या यह टीम इंडिया को विश्व चैंपियन बनाने वाले 'कैप्टन कूल' माही के करियर का अंत है?

बहरहाल, धोनी की रिटायरमेंट कोई नहीं चाहता यह सही बात है लेकिन कई पहलू हैं जिसपर धोनी जवाब नहीं दे पाते हैं या उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाते हैं तो धोनी के पास संन्यास के अलावा कोई मौका नहीं बचता है।
यहां जानिए वो चार कारण जिसकी वजह से धोनी को क्रिकेट को अलविदा कह देना चाहिए...

कहां खो गई फिनिशर वाली स्किल:

कहां खो गई फिनिशर वाली स्किल:

पिछले कई सालों में धोनी को दुनिया का बेस्ट फिनिशर कहा जाने लगा है। याद 2015 के बाद धोनी ने कब फिनिशिंग पारी खेली थी। कई बार इस बात को लेकर धोनी पर सवाल भी उठा है कि धोनी ज्यादा गेंद में कम रह बनाते हैं।विंडीज के खिलाफ एंटीगुआ एकदिवसीय मुकाबले में उन्हें पिछले 17 सालों की सबसे धीमी पारी खेली।उन्होंने अपना पचासा पूरा करने के लिए 108 गेंदों का सामना करना पड़ा था। यह पिछले 15 सालों में किसी भी भारतीय बल्लेबाज का सबसे धीरे बनाया गया पचास रन था। टीम इंडिया इस मुकाबले में 190 रनों का लक्ष्य चेज नहीं कर पाई और टीम को हार मिली। इस मैच के 21 से 40 ओवर के बीच भारतीय टीम ने महज 54 रन बनाए और इस दौरान सिर्फ एक चौका लगा। धोनी की इस पारी के लिए मैदान पर दर्शकों ने हूटिंग भी की थी। 2001 के बाद भारत ने इन ओवरों के दौरान महज तीन बार ही इससे कम रन बनाए थे। इस दौरान धोनी का औसत 36.92 का रहा।भारतीय क्रिकेट इतिहास में कई मील के पत्थर बनाने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने 2006 में क्रिकेट करियर का आगाज किया। भारतीय टीम ने अबतक 104 टी20 खेला है जिसमें से 93 मैचों में धोनी टीम का हिस्सा रहे हैं। इस दौरान उन्होंने 127 के स्ट्राइक रेट से 1487 रन बनाए हैं। इतना ही नहीं इस दौरान धोनी ने 54 कैच लिए और 33 स्टम्पिंग की है।

धोनी का गिरता स्ट्राइक रेट:

धोनी का गिरता स्ट्राइक रेट:

करियर की शुरुआत में धोनी ने क्रीज पर आते ही गेंद को सीमा रेखा पार भेजना शुरू करते थे। लेकिन उम्र के साथ ही वह ज्यादा गेंद खेलने और कम रन बनाने के शिकार हो गए हैं। कई सारे हाल के दिनों की बात करें तो बल्ले से धोनी निराश करते नजर आते हैं धोनी ने 2018 में 16 वनडे खेलते हुए 228 रन बनाए हैं। उनका औसत 28.13 का रहा है। जबकि उनका स्ट्राइक रेट 67.37 का रहा है। इंग्लैंड में धोनी ने तीन पारियों में सिर्फ 79 रन ही बनाने में सफल हुए थे। एशिया कप में धोनी ने मात्र 77 रन बनाए और इसके बावजूद भी उन्हें विंडीज के खिलाफ चुना गया जबकि दिनेश कार्तिक ने 77 रन बनाए और फिर भी टीम से बाहर रहे। धोनी की श्रीलंका के खिलाफ 183 रन की पारी और पाकिस्तान के खिलाफ 148 रन की पारी को कैसे भुलाया जा सकता है लेकिन धोनी के प्रदर्शन में सुधार नहीं हुआ तो विश्वकप से पहले ही उनकी छुट्टी हो सकती है।

मध्यक्रम के साथ-साथ धोनी भी फेल:

मध्यक्रम के साथ-साथ धोनी भी फेल:

विश्वकप से पहले भारत के लिए मध्यक्रम ऑर्डर की चिंता अभी भी सिरदर्दी बनी हुई है। ऐसे में कई मैचों में देखा गया है कि धोनी का भी बल्ला फेल रहा है बीते विंडीज के खिलाफ मैच में भी धोनी ने सिर्फ 20 रन ही बनाए थे। धोनी से पहले खिलाने के लिए कितने भारतीय बल्लेबाजों को ट्राई किया गया लेकिन केदार जाधव के अलावा सब फेल रहे। केदार जाधव भी कुछ हद तक गेंदबाजी के चलते ही टीम में बने रहे। कहां तो धोनी इन खिलाड़ियों को मजबूत बनाते लेकिन धोनी खुद ही अपने खराब प्रदर्शन से जूझ रहे हैं।

2018 में धोनी ने 15 मैच खेले हैं और उनका औसत 28.13 का रहा है। उनके बल्ले से एक अर्धशतक नहीं निकला है और नाबाद 42 रन उनका बेस्ट रहा है।जबकि 2017 में उनका औसत 60 का था और 2016 में 27.80 रहा है।

युवाओं को मौका:

युवाओं को मौका:

धोनी के संन्यास लेने के कारण में से यह एक कारण नैतिकता से लबरेज है। धोनी का बल्ला जब खामोश है तो धोनी को अपने से पीछे खड़े युवाओं को मौका देना चाहिए। ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ी मौका देने से ही टीम के लिए कुशल बनेंगे ऋषभ का हालिया प्रदर्शन पर नजर डाल तो ऋषभ ने अपनी बल्लेबाजी से प्रभावित किया है वक्त के साथ ऋषभ भी टीम के कीपिंग करने में और परिपक्व हो जाएंगे।इससे पहले पंत को हाल ही में वेस्ट इंडीज के खिलाफ 21 अक्टूबर से शुरू होने वाली पांच मैचों की वनडे इंटरनैशनल सीरीज के पहले दो मैचों के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया। कहा गया कि चयनकर्ता उन्हें धोनी के उत्तराधिकारी के रूप में देख रहे हैं।

Story first published: Saturday, October 27, 2018, 17:54 [IST]
Other articles published on Oct 27, 2018
POLLS
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Yes No
Settings X