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क्रिकेट जगत के 5 फैसले जिसने बदल दिया इन खिलाड़ियों का करियर, रच दिया इतिहास

नई दिल्ली। जीवन का कोई भी पहलू है फैसलों का महत्व हमेशा होता है फिर चाहे वो करियर हो, जीवन हो या फिर खेल का मैदान ही क्यों न हो। इस दौरान व्यक्ति कई बार ऐसे फैसले करता है जो उस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाता है और एक नई दिशा में ले जाता है। खेल के मैदान पर भी हमें ऐसा देखने को मिलता है, खिलाड़ियों के छोटे-छोटे फैसले पूरे खेल पर अपना प्रभाव डालते हैं। एक गलत फैसला और टीम को हार का सामना करना पड़ता है। मैदान पर भले ही सारे फैसले कप्तान करता हो लेकिन किस खिलाड़ी को क्या रोल अदा करना है इसका फैसला टीम मैनेजमेंट के हाथों में होता है।

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इन फैसलों के चलते कई बार खिलाड़ियों के करियर में क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिलते हैं। कुछ फैसलों से जहां खिलाड़ियों का करियर बर्बाद हो गया तो वहीं कुछ खिलाड़ियों के लिये यह फैसले किसी वरदान से कम साबित नहीं हुए।

आइये आज हम आपको क्रिकेट के उन 5 फैसलों के बारे में बताते हैं जिन्होंने खिलाड़ियों की जिंदगी को बदल कर रख दिया और क्रिकेट के लिये वरदान साबित हुए:

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स्टीव स्मिथ का गेंदबाजी छोड़ने का फैसला

स्टीव स्मिथ का गेंदबाजी छोड़ने का फैसला

मौजूदा दौर में अगर सबसे बेहतरीन बल्लेबाज के सवाल पर चर्चा शुरु की जाये तो ज्यादातर डिबेट 2 नामों पर होगी, एक विराट कोहली और दूसरा स्टीव स्मिथ। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि स्टीव स्मिथ ने अपने करियर की शुरुआत बतौर बल्लेबाज नहीं बल्कि एक गेंदबाज के रूप में की थी। पाकिस्तान के खिलाफ 13 जुलाई 2010 को जब स्टीव स्मिथ ने अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में कदम रखा तो वह एक गेंदबाज के रूप में टीम में शामिल किये गये थे। इतना ही नहीं स्टीव स्मिथ ने 2010 में खेले गये टी20 विश्व कप के 7 मैचों में 11 विकेट हासिल किये और सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की लिस्ट में दूसरे स्थान पर काबिज रहे।

हालांकि इसी साल एशेज के दौरान टीम मैनेजमेंट के एक फैसले ने स्टीव स्मिथ के करियर को पूरी तरह से बदल दिया और हमारे सामने दुनिया के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक को ला खड़ा किया। स्टीव स्मिथ ने 2010-11 की एशेज सीरीज के दौरान न सिर्फ बेहतरीन गेंदबाजी की बल्कि बल्ले से भी रन बरसाये। जिसके बाद मैनेजमेंट ने उन्हें बल्लेबाजी पर ज्यादा ध्यान देने को कहा।

बस फिर क्या था स्टीव स्मिथ ने पूरी सीरीज में बेहतरीन बल्लेबाजी की और साल 2013 में ऑस्ट्रेलिया का भारत दौरा स्टीव स्मिथ के लिये शानदार रहा। इस दौरे पर भले ही ऑस्ट्रेलिया के 4-0 से टेस्ट सीरीज में हार का सामना करना पड़ा लेकिन स्टीव स्मिथ एक बल्लेबाज के रूप में उभरे। इसके बाद स्टीव स्मिथ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और साल 2015, 2016, 2017 में आईसीसी टेस्ट बल्लेबाजी रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर रहे और आज उनके नाम बल्लेबाजी के कई रिकॉर्ड दर्ज है।

गेंदबाजी छोड़ बल्लेबाज बने सचिन तेंदुलकर

गेंदबाजी छोड़ बल्लेबाज बने सचिन तेंदुलकर

क्रिकेट में अगर भगवान का दर्जा किसी खिलाड़ी को मिला है तो वह सिर्फ भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को, हालांकि वह हमेशा से बल्लेबाज बनने के इच्छुक नहीं थे। जी हां, बल्लेबाजी में दुनिया भर के रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले और क्रिकेट को एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाले सचिन तेंदुलकर एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे। इस बात का खुलासा खुद सचिन तेंदुलकर ने किया था।

सचिन तेंदुलकर ने इसका जिक्र करते हुए बताया कि 1987 तक वह एक तेज गेंदबाज बनने का ख्वाब देखा करते थे। लेकिन उस दौरान चेन्नई में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और तेज गेंदबाज डेनिस लिली से मुलाकात की, जिन्होंने सचिन तेंदुलकर को गेंदबाजी छोड़ बल्लेबाजी पर ध्यान देने की सलाह दी।

सचिन ने लिली की इस सलाह को गंभीरता से लिया और नतीजा आज सबके सामने है। हालांकि सचिन मैदान पर अपनी गेंदबाजी के पैशन को छोड़ नहीं पाये और तेज न सही बल्कि स्पिन गेंदबाजी करते कई बार नजर आये। इस दौरान सचिन तेंदुलकर ने 201 अंतर्राष्ट्रीय विकेट अपने नाम किये।

सचिन तेंदुलकर ने लिली को उनके 68 वें जन्मदिन पर एक वीडियो संदेश द्वारा इस सलाह के लिए दिल से धन्यवाद कहा था।

रोहित शर्मा का ओपनिंग करना

रोहित शर्मा का ओपनिंग करना

वनडे क्रिकेट में 3 बार दोहरा शतक लगाने वाले दुनिया के इकलौते खिलाड़ी और हिटमैन के नाम से मशहूर रोहित शर्मा को अपने करियर के शुरुआती दिनों में काफी आलोचना का शिकार होना पड़ा था। कारण था उनकी बल्लेबाजी में अनिश्चितता। रोहित शर्मा ने 23 जून 2007 को आयरलैंड के खिलाफ बतौर मध्यक्रम बल्लेबाज के रूप में अपना डेब्यू किया था। अपने करियर की शुरुआत में रोहित शर्मा को काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला, वह कई बार टीम से बाहर हुए। 2011 में खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें टीम से निकाल दिया गया था, लेकिन उन्होंने जल्द ही टीम में दमदार वापसी की।

साल 2013 में तत्कालीन कप्तान एमएस धोनी के एक फैसले ने रोहित शर्मा के पूरे करियर को एक बेहतरीन मोड़ दे दिया। चैम्पियंस ट्रॉफी के दौरान धोनी ने रोहित शर्मा को शिखर धवन के साथ बतौर ओपनर उतरने को कहा और उनके इस फैसले ने उनके पूरे करियर को बदल कर रख दिया। चैंपियंस ट्रॉफी में उन्होंने धुंआधार बल्लेबाजी की और हर मैच में शानदार शुरुआत दिलाई, नतीजन भारत चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीतने में सफल रहा। इसके बाद रोहित शर्मा नहीं रुके और आज सीमित ओवर्स प्रारूप के सबसे सफल बल्लेबाजों में से एक माने जाते हैं।

रोहित शर्मा ने महेंद्र सिंह धोनी के इस फैसले के बारे में कहा कि यह उनके जिंदगी का सबसे बेहतरीन फैसला साबित हुआ और इस फैसले के बाद वह एक बेहतर बल्लेबाज बन सके।

राशिद खान को टीम में शामिल करना

राशिद खान को टीम में शामिल करना

मौजूदा समय में अगर किसी युवा टीम को टैलेंटेड कहा जाता है तो वह अफगानिस्तान की टीम को, हालांकि इसे यह पहचान दिलाने का श्रेय फिरकी के जादूगर कहे जाने वाले राशिद खान को जाता है। राशिद खान ने बेहद कम समय में अपने लिये अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में एक खास पहचान बना ली है। राशिद खान अपनी एक अलग शैली की गेंदबाजी के कारण जाने जाते है।

हालांकि यह जानकर काफी हैरानी होगी कि कभी अफगानिस्तान की राष्ट्रीय टीम के चयनकर्ता इस खिलाड़ी को अपनी टीम में शामिल करने से कतरा रहे थे।

अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के सीईओ सफीक स्टैनिकज़ाई ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जिस दिन से उन्होंने राशिद खान को गेंदबाजी करते हुए देखा उन्हें उनकी गेंदबाजी से प्यार हो गया था।

उन्होंने बताया कि किस तरह से उन्होंने अफगानिस्तान टीम के कप्तान असगर स्टैनिकज़ाई से राशिद खान को टीम में शामिल करने को कहा था। सफीक ने यह भी कहा था कि अगर एकदिवसीय में न सही तो कम से कम टी20 क्रिकेट में राशिद खान को जरूर शामिल करें।

आखिरकार राशिद खान को टीम में शामिल होने का मौका मिला और बेहद कम उम्र और समय में राशिद खान ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना दबदबा कायम कर लिया है।

सचिन की गैरमौजूदगी में सहवाग को ओपनिंग

सचिन की गैरमौजूदगी में सहवाग को ओपनिंग

रोहित शर्मा की ही तरह भारतीय टीम के विस्फोटक बल्लेबाजों में शुमार वीरेंद्र सहवाग ने भी अपने करियर की शुरुआत बतौर मध्यक्रम बल्लेबाज के रूप में की थी। हालांकि उन्हें ओपनिंग कराने का फैसला सचिन तेंदुलकर की चोट को जाता है।

सहवगा ने साल 1999 में वनडे और 2001 में टेस्ट डेब्यू किया था, पाकिस्तान के खिलाफ खेले गये अपने पहले अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में वह महज 2 रन बनाकर आउट हो गए थे। इसके बाद वह टीम से लगभग 20 महीनों तक बाहर रहे।

साल 2001 में सहवाग को भारत, श्रीलंका और न्यूजीलैंड के बीच हुई त्रिकोणीय श्रृंखला के लिये टीम में शामिल किया गया जिसमें चोट की वजह से सचिन तेंदुलकर सेमीफाइनल मुकाबला नहीं खेल रहे थे। पूरी सीरीज में छुटपुट रन बनाने वाले सहवाग ने सेमीफाइनल में पारी की शुरुआत की और न्यूजीलैंड के खिलाफ 69 गेंदों में अपना पहला शतक लगा डाला।

इसके बाद एकदिवसीय मुकाबलों मे उन्हें जब भी पारी शुरुआत करने का मौका मिला उन्होंने हर मौके पर बेहतरीन प्रदर्शन किया। हालांकि टेस्ट मैचों में सहवाग ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में मध्यक्रम में खेलते हुए बेहतरीन 105 रन की पारी खेली थी।

साल 2002 में वीरेंदर सहवाग को इंग्लैंड दौरे पर पारी की शुरुआत करने का मौका मिला और सहवाग ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। टेस्ट क्रिकेट में वीरेंदर सहवाग के नाम सबसे तेज 250 और 300 रन बनाने का रिकॉर्ड है जिसका टूटना लगभग नामुमकिन है।

एक बार वीरेंदर सहवाग ने एक इंटरव्यू में कहा था कि सौरव गांगुली ने उनसे कहा था कि अगर उन्हें टीम में रहना है तो उन्हें पारी की शुरुआत करनी पड़ेगी और शायद इसी फैसले ने वीरेंदर सहवाग को विस्फोटक बल्लेबाजों में से बना दिया ।

Story first published: Sunday, March 29, 2020, 20:43 [IST]
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