तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts
 

आसान नहीं होगी सौरभ गांगुली की राह, 9 महीने में करना होगा इन 5 समस्याओं का समाधान

नई दिल्ली। मुश्किल समय में टीम इंडिया की कमान संभाल उसे 2003 विश्व कप में रनर अप टीम बनाने वाले सौरभ गांगुली ने बीसीसीआई पद की कमान संभाल ली है। पूर्व भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली ने बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला। सौरभ गांगुली को अगले 9 महीने के लिए आधिकारिक रूप से भारतीय क्रिकेट के प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई है। सौरभ गांगुली के लिए बीसीसीआई अध्यक्ष का पदभार संभालना आसान काम नहीं होगा। यह उन्हें उस कठिन वक्त की याद दिलायेगा जब उन्हें भारतीय टीम की कमान सौंपी गई थी। मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी वाली भारतीय टीम स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों में घिरी हुई थी और सचिन तेंदुलकर ने कप्तानी में नाकामयाबी मिलने के बाद सिर्फ खिलाड़ी के तौर पर खेलने की बात रख दी थी।

ऐसे समय में तत्कालीन बीसीसीआई के मुखिया जगमोहन डालमिया की नजर भारतीय क्रिकेट के इस चमकते सितारे पर पड़ी और उन्होंने सौरभ गांगुली को टीम इंडिया की कमान सौंपी। इसके बाद सौरभ गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम ने क्या क्या हासिल किया सारे क्रिकेट जगत को पता है।

और पढ़ें: बांग्लादेश के खिलाफ इन 5 खिलाड़ियों को मौका दे सकती है BCCI, गुरुवार को टीम का ऐलान

अब कुछ ऐसा ही हाल भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का भी है जब उन्हें अध्यक्ष के रूप में इसकी कमान संभालने को मिली है। सौरभ गांगुली ने बीसीसीआई अध्यक्ष का पद तब ग्रहण किया है जब सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त की गई प्रशासकों की समिति ने अपना 33 महीने का कार्यकाल खत्म किया है।

सौरभ गांगुली के पास सिर्फ 9 महीने का वक्त है ऐसे में उनका अध्यक्ष के रूप में सफर आसान नहीं होगा, आइये नजर डालते उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर:

आईसीसी में भारत की स्थिति को मजबूत करना

आईसीसी में भारत की स्थिति को मजबूत करना

बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के हटने और सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त की गई प्रशासकों की समिति के दखल के बाद यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पिछले कुछ समय में भारत का रुतबा आईसीसी में घटा है। आईसीसी की नई वर्किग कमिटी में बीसीसीआई का एक भी मेंबर नहीं है। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के विश्वासपात्र सुंदर रमन द्वारा तैयार किए गए ‘बिग थ्री माडल' (इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और भारत) के तहत भारत को आईसीसी के राजस्व आवंटन माडल में से 57 करोड़ डॉलर मिलने थे।

शशांक मनोहर के आने के बाद हालांकि भारत बिग थ्री माडल पर सहमति नहीं बना सका और उसे 2016, 2023 सत्र के लिए 29 करोड़ 30 लाख डॉलर से ही संतोष करना पड़ा, जो इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड से 15 करोड़ अधिक है।

सौरभ गांगुली को बीसीसीआई प्रतिनिधि के तौर पर आईसीसी से बात करनी होगी। बोर्ड को 40 करोड़ डॉलर मिल सकते हैं। गांगुली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी 37 करोड़ 20 लाख डॉलर मिलने की बात कही। वैसे अगर एन श्रीनिवासन या सुंदर रमन बीसीसीआई प्रतिनिधि के तौर पर आईसीसी में जाते हैं और बीसीसीआई के पास मत नहीं होते तो टकराव की स्थिति बन सकती है।

घरेलू क्रिकेटर्स के सैलरी गैप को खत्म करना

घरेलू क्रिकेटर्स के सैलरी गैप को खत्म करना

अध्यक्ष पद की कमान संभालते ही सौरभ गांगुली ने भारतीय क्रिकेट के बरसों पुराने इस मसले को अपनी प्राथमिकता बताते हुए हल करने का भरोसा जताया। फिलहाल प्रथम श्रेणी क्रिकेटर को एक लाख 40 हजार रुपये प्रति मैच मिलता है। सत्र के आखिर में बीसीसीआई अपने सालाना सकल राजस्व का 13 प्रतिशत भी उन्हें बांटता है।

एक सत्र में एक घरेलू क्रिकेटर को 25 लाख रुपये मिल जाते हैं तो 4 दिवसीय, लिस्ट ए और टी20 मैच खेलता है। जबकि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटरों की कमाई कहीं ज्यादा है। उन्हें एक टेस्ट के 15 लाख रुपये, वनडे के आठ लाख और टी20 के 4 लाख रुपये मिलते हैं। इसके अलावा इन क्रिकेटर्स के सालाना केंद्रीय अनुबंध भी हैं।

हितों के टकराव नियम पर पुनर्विचार करना

हितों के टकराव नियम पर पुनर्विचार करना

सौरभ गांगुली खुद इसके भुक्तभोगी रहे हैं और अपने साथियों सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण को भी इस विवाद का सामना करते देखा है। इस नियम के तहत एक व्यक्ति एक ही पद संभाल सकता है। इससे क्रिकेट सलाहकार समिति और राष्ट्रीय चयन समिति में अच्छे क्रिकेटरों को लाने के विकल्प कम हो जाएंगे।

2016 टी20 विश्व कप और आगामी आईसीसी टूर्नामेंट में टैक्स विवाद

2016 टी20 विश्व कप और आगामी आईसीसी टूर्नामेंट में टैक्स विवाद

सौरभ गांगुली को बीसीसीआई की कानूनी और वित्तीय टीमों से पूरा सहयोग चाहिए होगा, क्योंकि आईसीसी भारत में सभी टूर्नामेंटों के लिए कर में छूट चाहती है। शशांक मनोहर ने यह भी चेतावनी दी है कि करों का सारा बोझ बीसीसीआई के सालाना राजस्व पर पड़ेगा। इसका हल यह निकल सकता है कि आईसीसी के प्रसारक स्टार स्पोटर्स को कर का बोझ वहन करने को कहा जाएगा जिसका भारत में पूरा बुनियादी ढांचा है और उसे प्रोडक्शन उपकरण आयात नहीं करने होंगे।

भारतीय क्रिकेट के घरेलू ढांचे में सुधार

भारतीय क्रिकेट के घरेलू ढांचे में सुधार

भारतीय क्रिकेट की नींव कही जाने वाली इसके घरेलू ढांचे में कई सारे सुधार की आवश्यकता है। घरेलू टूर्नामेंट देवधर ट्रॉफी, रणजी ट्रॉफी में मूलभूत ढांचे से लेकर अंपायरिंग के स्तर में सुधार की आवश्यकता है। यह टूर्नामेंट जरूरत से ज्यादा लंबे होते हैं जिसके चलते इनकी संख्या में कटौती और प्रथम श्रेणी क्रिकेट के लिए बेहतर पिचें तैयार करने की आवश्यकता है।

Story first published: Thursday, October 24, 2019, 0:59 [IST]
Other articles published on Oct 24, 2019
POLLS
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Yes No
Settings X