कानपुर। कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में टीम इंडिया न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना 500वां टेस्ट मैच खेल रही है। यह कई मायनों में ऐतिहासिक टेस्ट है जो भारतीय टेस्ट इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो जाएगा। टीम इंडिया का टेस्ट इतिहास 84 साल पुराना है।
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आइए एक नज़र डालते हैं भारतीय टीम के इस मैराथन क्रिकेटिंग सफर पर। जानिए कौन सा भारतीय टेस्ट कप्तान रहा है सबसे अव्वल और कैसा रहा 22 गज के पिच के इर्द-गिर्द घूमता यह लंबा सफर....
#ThrowbackThursday India's first ever Test was against England at Lord's in 1932. England won the match by 158 runs pic.twitter.com/sHtg8zsNZk
— ICC (@ICC) September 22, 2016
टीम इंडिया ने अपना पहला टेस्ट मैच साल 1932 में 'क्रिकेट के मक्का' कहे जाने वाले ऐतिहासिक मैदान लॉर्डस पर इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। इंग्लैंड की टीम ने यह मैच 158 रनों से जीत लिया था। इंग्लिश टीम ने 259 और 275-8 (घोषित) रन बनाए जबकि भारतीय टीम 189 और 187 की पारियों में सिमट गई।
सरजमीं पर शेर मानी जाने वाली टीम इंडिया का टेस्ट इतिहास विदेशी जमीन पर कुछ खास नहीं रहा है. कागज का शेर माने जानी वाली टीम अक्सर जीत के लिए संघर्ष करते दिखी है। साल 2000 से पहले भारतीय टीम ने कुल 155 टेस्ट मैच खेले हैं जिनमें 13 में जीत और 69 टेस्ट मैचों में हार का सामना करना पड़ा वहीं 2000 के बाद 29 में जीत और 37 में हार का सामना करना पड़ा।
भारत ने साल 2000 के बाद टेस्ट मैच में 53 फीसदी जीत दर्ज की है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। विदेशी जमीन पर खेले गए मैचों में टीम इंडिया ने पिछले 16 सालों में कुल 69 फीसदी जीत दर्ज की है हालांकि इस दौरान भारत ने महज 32 फीसदी टेस्ट मैच खेला है।
टीम इंडिया में अकसर महान कप्तान की चर्चा होती है. आंकड़ों की मानें तो सौरव गांगुली, कैप्टन कूल माही पर इस मामले में भी भारी पड़ते हैं। जीत और हार के बीच के अनुपात में 'दादा' 1.615 अंक के साथ सबसे सफल कप्तान हैं वहीं धोनी 1.500 अंकों के साथ दूसरे पायदान पर। गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम ने विदेशी जमीन पर सबसे अधिक 11 टेस्ट मैचों में जीत दर्ज की है वहीं एशिया के बाहर 6 जीत के साथ अव्वल रही।
टीम इंडिया को साल 1981-82 और 84-85 के दौरान टेस्ट मैच में जीत दर्ज करने क लिए 4 साल 2 महीने का लंबा इंतजार करना पड़ा था। इस दौरान भारत ने 22 मैच ड्राॅॅ करवाए जबकि 9 टेस्ट में हार का सामना करना पड़ा था। इतने लंबे वक्त से जीत का इंतजार कर रही भारतीय टीम ने वानखेड़े मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट जीता था।
भारत ने साल 2013 में लगातार 6 टेस्ट मैच जीते थे। टीम इंडिया ने इस दौरान ऑस्ट्रेलिया को चार टेस्ट में मात दी वहीं वेस्टइंडीज को दो टेस्ट हराया था। इसस पहले साल 2009-10 में श्रीलंका और बांग्लादेश को लगातार चार टेस्ट हराया था जबकि 1993 में इंग्लैंड और ज़िम्बाव्वे की टीम को।
साल 1985-87 के बीच टीम इंडिया ने लगातार 17 टेस्ट मैचों में शानदार प्रदर्शन कर विश्व क्रिकेट में अपना परचम फहराया। इस दौरान टीम ने 4 टेस्ट मैच में जीत, एक टाई और 12 मैच ड्रा खेले। भारत की जीत का यह सुनहरा सिलसिला पाकिस्तान ने बैंगलोर में तोड़ा जो गवास्कर का आखिरी मैच था।
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2008-13 के बीच टीम इंडिया ने सबसे अधिक 25 टेस्ट में जीत हासिल की. इसमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 7 जीत, वेस्टइंडीज के खिलाफ 5 और न्यूजीलैंड के खिलाफ 4 जीत शामिल हैं. टीम इंडिया इसी दौरान टेस्ट में नंबर वन टीम भी बनी थी. 50 मैचों के मैराथन श्रृंखला में यह पहला मौका था जब भारतीय टीम ने सभी विपक्षी टीम को धूल चटाया। भारत ने लगातार 50 मैचों में 1958 -68 और 1966 -76 के बीच 24 मैच गंवाए थे।
टीम इंडिया ने टेस्ट में दिल्ली (फिरोजशाह कोटला) के मैदान पर 33 में से कुल 13 मैच, चेन्नई (चेपॉक) में 31 में से 13, कोलकाता (ईडन गार्डन्स) में 39 में 11 और मुंबई (वानखेड़े ) में 24 में से 10मैचों में जीत हासिल की है। पूरी दुनिया में 47 ऐसे मैदान हैं जहां टीम इंडिया ने कम से कम एक जीत हासिल की है इसमें 17 घरेलू और 30 विदेशी मैदान शामिल हैं। क्वीन्स पार्क ओवल के मैदान पर टीम इंडिया ने तीन जीत दर्ज की है।
ब्रिजटाउन, बाराबडोस और ओल्ड ट्रैफर्ड के मैदानों पर टीम इंडिया ने कुल 9 टेस्ट मैच खेले हैं लेकिन एक भी मैच में जीत नहीं मिली है।
भारत की तरफ से अब तक कुुल 500 टेस्ट मैचों में से 200 यानी 40 फीसदी टेस्ट मैैच अकेले सचिन तेंदुलकर ने खेले हैं। सचिन ने अलावा यह रिकॉर्ड किसी अन्य भारतीय खिलाड़ी के नाम नहीं है।
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भारतीय टीम की सफेद जर्सी में अब तक कुल 285 खिलाड़ी टेस्ट मैच खेल चुके हैं। इस दौरान टीम इंडिया को 32 कप्तान मिले, 78 खिलाड़ियों ने शतक लगाया और 61 गेंदबाजों ने एक बार पांच विकेट झटके। टेस्ट इतिहास में इंग्लैंड के लिए 460, ऑस्ट्रेलिया के लिए 348 और वेस्टइंडीज के लिए 299 खिलाड़ी टेस्ट मैच खेल चुके हैं।
सबसे अधिक मैन ऑफ द मैच :
विदेशी जमीन पर टीम के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी "द वाल" राहुल द्रविड़ सबसे आगे हैं. उन्हें 8 मैन ऑफ द मैच अवार्ड मिले हैं जबकि सचिन तेंदुलकर को 6 और कपिलदेव को 5 मिले हैं।
टीम इंडिया के बेहतरीन ऑल राउंडर आर. अश्विन 6 बार मैन ऑफ द सीरीज बने हैं वहीं सहवाग और तेंदुलकर ने 5 बार कब्जा जमाया है। राहुल द्रविड़ इकलौते ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जिनके नाम चार मैन ऑफ द सीरीज हैं, हालांकि कोई भी भारतीय खिलाड़ी दो या उससे अधिक बार यह कारनामा नहीं कर पाया है।