गिलक्रिस्ट को आई हरभजन की याद-
क्रिकेट डॉट कॉम पर अपने करियर पर बात करते हुए गिलक्रिस्ट ने भारत के खिलाफ 2001 की प्रसिद्ध टेस्ट सीरीज को याद किया जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने अपने 16वें टेस्ट जीतने के सिलसिले को देखा था। उस प्रतिष्ठित सीरीज के दौरान, बाएं हाथ के बल्लेबाज ने मुंबई में पहले टेस्ट में शानदार बल्लेबाजी की थी , स्टीव वॉ के नेतृत्व में शक्तिशाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ने लगातार 16वां टेस्ट जीता था। गिलक्रिस्ट बताते हैं, "हम 99 पांच विकेट आउट थे, मैं वहां गया, 80 गेंदों पर सौ रन बनाए। हमने तीन दिनों में जीत हासिल की और मैंने सिर्फ सोचा, 'ये लड़के 30 साल से क्या कर रहे हैं। यह कितना आसान है? और मैं कितना गलत था। गिलक्रिस्ट ने कहा कि हम केवल अगले टेस्ट मैच के लिए तेजी से आगे बढ़े और मैं फिर से वास्तविकता में आ गया हूं।'
'हरभजन रहे सबसे मुश्किल गेंदबाज'
हालांकि, अगले दो टेस्ट में जो हुआ वह कुछ ऐसा था जो विश्व क्रिकेट के इतिहास में दर्ज है। "हमे उस सीरीज के अंत तक यह सीखने की जरूरत थी कि हमको भारतीय को रोकने के लिए कुछ और करने की जरूरत थी जबकि हमने केवल आक्रमण पर ध्यान दिया क्योंकि यह हमेशा काम नहीं करता है। हरभजन ने हमारी बल्लेबाजी को तहस-नहस कर दिया। वह मेरे पूरे करियर में वह मेरे लिए बहुत कड़े प्रतिद्वंदी रहे। मैंने उन्हें और मुरली को दो सबसे कठिन गेंदबाजों के तौर पर पाया।"
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भारत-ऑस्ट्रेलिया की यादगार सीरीज से मिला सबक-
बता दें कि हरभजन ने तीन मैचों में 32 विकेट चटकाए, जिसमें कोलकाता में भारत के लिए पहली टेस्ट हैट्रिक भी शामिल है और उन्हें मैन ऑफ द सीरीज चुना गया। 47 वर्षीय ने आगे कहा कि 2001 की श्रृंखला के बाद, ऑस्ट्रेलिया ने टेस्ट क्रिकेट में अपने दृष्टिकोण और रणनीति में बहुत बदलाव किया। गिलक्रिस्ट ने कहा, "हमने अपनी रणनीति को काफी हद तक बदल दिया। 2001 में हमने जो सीखा वह था कि हम हर तरह से केवल अटैक नहीं कर सकते। हमें अपने अहं को निगलना और डिफेंसिव होना सीखना पड़ा, और यह पूरी टीम के ऊपर लागू हुआ।"