क्या JIO बनेगा IPL का टाइटल स्पॉन्सर
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार VIVO के साथ करार टूटने की बात सामने आने के बाद से ही BCCI एक साल के प्रायोजन करार के लिये कई भारतीय कंपनियों से बात कर रहा है, इसमें मुख्य रूप से रिलायंस जियो, पेप्सिको इंडिया, DLF, TATA का नाम शामिल है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि आईपीएल के टाइटल स्पॉन्सरशिप को बचाने के लिये जियो हाथ बढ़ा सकती है, जैसा कि पिछले कुछ सालों में उसका सह प्रायोजक के तौर पर काफी इनवेस्टमेंट देखने को मिला है।
इस पर बात करते हुए एक बीसीसीआई अधिकारी ने कहा, 'फिलहाल इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि अभी तक वीवो और बीसीसीआई का करार खत्म नहीं हुआ है। अगर दोनों अलग हो जाते हैं तो हम कई भारतीय कंपनियों से टच में हैं जिसमें जियो भी शामिल है।'
लगभग तय है वीवो का आईपीएल से अलग होना
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया, 'बीसीसीआई के पदाधिकारियों (अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह) और कंपनी के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत चल रही है। ऐसी पूरी संभावना है कि इस साल टाइटल प्रायोजक वीवो नहीं होगा। इतने कम समय में इतनी बड़ी रकम (440 करोड़ रूपये) मिलना तो मुश्किल है और टूर्नामेंट भी विदेश में हो रहा है। खाली स्टेडियम में मैच होंगे, हम उस पर तब बात करेंगे जब वीवो आधिकारिक रूप से अलग हो जायेगा।'
बैंक गारंटी नहीं भुनायेगा BCCI
वहीं बोर्ड के अधिकारी ने यह भी साफ किया है कि टाइटल स्पॉन्सरशिप को लेकर जब भी फैसला किया जायेगा तो दोनों पक्षों की आपसी सहमति से ही किया जायेगा, जिससे बोर्ड बैंक गारंटी को भुनाने पर विचार नहीं कर रहा है।
उन्होंने कहा, 'अलग-अलग हालात में अगर प्रायोजक वादा पूरा नहीं कर पाता है तो बोर्ड बैंक गारंटी भुनाता है जो पहले भी किया गया है। लेकिन यहां दोनों पक्ष आपसी सहमति से समाधान तलाश रहे हैं।'
BCCI ने किया था करार दोबारा जांचने का वादा
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख के गलवान इलाके में दोनों देशों के बीच हुई हिंसक सैन्य झड़प के बाद BCCI ने कहा था कि वह आगामी बैठक में करार की समीक्षा करेगा लेकिन करार जारी रखने पर उसे काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल ने कहा था कि वीवो समेत उसके सभी प्रायोजकों को बरकरार रखा जायेगा, क्योंकि इससे 440 करोड़ रूपये सालाना बीसीसीआई को ही मिलते हैं, चीन को नहीं।
आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच पनपी टेंशन के बाद केंद्र सरकार के 60 चीनी एप और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया है।
अधिकारी ने कहा, 'यह संवेदनशील समय है और हमें एहतियात बरतनी होगी। एक बार हम कह दें कि प्रायोजन की समीक्षा करेंगे और फिर कुछ नहीं करें तो इससे चीनी कंपनियों के साथ संबंधों को लेकर सवाल उठेंगे।'