हर बार जमा कराता था अलग बर्थ सर्टिफिकेट
गौरतलब है कि डीडीसीए को भेजे ईमेल में बीसीसीआई ने कहा,'प्रिंस राम निवास यादव जिसे डीडीसीए ने 2018-19 सत्र में अंडर-19 आयु वर्ग में पंजीकृत किया और फिर 2019-2020 में फिर से इसी आयु वर्ग में पंजीकृत किया गया है। इस क्रिकेटर ने हाल में जो जन्म प्रमाण पत्र सौंपा है उसके अनुसार उसकी जन्मतिथि 12 दिसंबर 2001 है।'
बीसीसीआई ने 30 नवंबर को डीडीसीए को भेजे पत्र में कहा, ‘क्रिकेटर के अधिक उम्र का होने से संबंधित शिकायत पर कार्रवाई करते हुए बीसीसीआई ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से उससे संबंधित जानकारी मांगी और पता चला कि प्रिंस यादव ने 2012 में 10वीं की परीक्षा पास की और उनकी असल जन्म तिथि 10 जून 1996 है।'
BCCI ने लगाया 2 साल का बैन
बीसीसीआई ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा जारी प्रमाण पत्र के आधार पर कार्रवाई की जिसमें प्रिंस यादव की जन्मतिथि 10 जून 1996 थी लेकिन इस क्रिकेटर ने क्रिकेट बोर्ड को जो जन्म प्रमाण पत्र सौंपा था उसमें उसकी जन्मतिथि 12 दिसंबर 2001 दर्ज थी।
बीसीसीआई ने कहा कि कम आयु वर्ग के टूर्नामेंटों का फायदा उठाने के लिए प्रिंस यादव ने एक से अधिक बर्थ सर्टिफिकेट बनवाए।
पहले भी हो चुके हैं कई मामले, मनजोत कालरा का नाम भी शामिल
बोर्ड ने कहा, ‘इसे देखते हुए प्रिंस यादव को तुरंत प्रभाव से अयोग्य किया जाता है और उनके बीसीसीआई के दो घरेलू सत्र 2020-21 और 2021-22 में बीसीसीआई के किसी भी टूर्नामेंट में खेलने पर प्रतिबंध होगा। दो साल का प्रतिबंध पूरा होने के बाद उसे सिर्फ सीनियर पुरुष क्रिकेट टूर्नामेंट में खेलने की स्वीकृति होगी।'
दिल्ली क्रिकेट में आयु धोखाधड़ी कोई नया मामला नहीं है। कुछ मामले तो पुलिस के पास भी लंबित पड़े हैं क्योंकि खिलाड़ी अब सीनियर स्तर पर खेल रहे हैं। मनजोत कालरा और हिम्मत सिंह ऐसे दो खिलाड़ी हैं जिनके खिलाफ एज फ्रॉड के मामले लंबित हैं और वो अब दिल्ली की सीनियर टीम में शामिल हैं।