एजाज पटेल के काम की तारीफ-
हालांकि न्यूजीलैंड यह मुकाबला हार गया लेकिन एजाज पटेल ने गेंद के साथ गजब का धैर्य दिखाया जिसका इनाम पूरे 10 विकेट लेकर उनको मिला। ऐसा टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में केवल तीसरी बार हुआ है इसलिए इस मैच को आने वाले लंबे समय तक याद रखा जाएगा। आमतौर पर खिलाड़ी बल्ले से जब बेहतर प्रदर्शन करते हैं तो उस मैच की चीजों को निशानी के तौर पर अपने पास संभाल कर रख लेते हैं। अगर किसी स्पिनर ने किसी मैच में 10 विकेट ले लिए हैं तो इस बात की प्रबल संभावनाएं रहेंगी कि वह उस गेंद को ताउम्र अपने पास रखें ताकि वह बॉल एक यादगार चिह्न के तौर पर उसके साथ बनी रहे। लेकिन एजाज पटेल ने इन सब चीजों को छोड़ते हुए एक ऐसा काम किया है जिसके लिए उनकी काफी तारीफ हो रही है।
साउथ अफ्रीका के खिलाफ सबसे ज्यादा टेस्ट रन बनाने वाले टॉप-5 भारतीय बल्लेबाज
'प्राईड ऑफ पैलेस' में होगी अब 10 विकेट लेने वाली गेंद-
एजाज पटेल ने दरअसल 10 विकेट लेने वाली अपनी गेंद दान कर दी है और यह गेंद अब मुंबई क्रिकेट संघ के संग्रहालय का गौरव बनेगी। इस बात की जानकारी खुद मुंबई क्रिकेट संघ के अध्यक्ष विजय पाटिल ने दी है। उन्होंने बताया कि अब यह गेंद अब 'प्राईड ऑफ पैलेस' होगी। पाटिल एजाज पटेल का शुक्रिया अदा करते हुए मानते हैं कि पटेल ने जो मुंबई के प्रतिष्ठित वानखेड़े स्टेडियम में हैरतअंगेज प्रदर्शन करके दिखाया वह वाकई में काबिले तारीफ था और यह मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में किया गया तो यह बात और भी खास बन जाती है क्योंकि इससे इस ऐतिहासिक मैदान की यादों में एक और मील का पत्थर जुड़ गया है। अब इस गेंद को मुंबई क्रिकेट संघ के संग्रहालय में सजा दिया जाएगा जहां पर यह युवाओं को प्रेरित करेगी और इसके साथ ही इस संग्रहालय में मौजूद बेशकीमती स्मृतिचिह्न भी आने वाली युवा पीढ़ियों के लिए प्रेरणा देने का काम करती रहेंगी।
मुंबई क्रिकेट संघ का संग्रहालय युवाओं के लिए खास-
पाटिल इस अवसर पर कहते हैं कि एजाज पटेल की जड़े मुंबई से ही है ऐसे में उनकी उपलब्धि और पर खास हो जाती है और उन्होंने गेंद को दान करके साबित कर दिया है कि उनका दिल भी काफी बड़ा है। उन्होंने उदारता दिखाते हुए 10 विकेट लेने वाली गेंद हमें दे दी है। हम इस तरह की चीजों को बहुत ही महत्व देते हैं और यह हमारे लिए सम्मान की बात है क्योंकि अब यह गेंद हमारे संग्रहालय का गौरव बनेगी।
बता दे भारतीय क्रिकेट में मुंबई की विरासत काफी बढ़ी है और यहां से कई आला दर्जे की खिलाड़ी निकले हैं। आमतौर पर माना जाता है कि जो खिलाड़ी मुंबई स्कूल की परवरिश में क्रिकेट खेलने के तौर-तरीकों को सीखे हैं वे भारत के अन्य खिलाड़ियों की तुलना में थोड़े बेहतर सोच समझ वाले खिलाड़ी साबित होते हैं और हम खास तौर पर बल्लेबाजों की बातें कर रहे हैं। हालांकि आईपीएल के जमाने में क्रिकेट देश के गांवों और दूर-दराज के क्षेत्रों में भी प्रचार प्रसार कर चुका है। इसके बावजूद मुंबई की अपनी एक शानदार विरासत रही है जिस पर मुंबईकरों को काफी गर्व रहा है।
भारत में स्पेशल रहा है मुंबई ब्रांड क्रिकेट-
ऐसे में मुंबई क्रिकेट की विरासत को संभालने के लिए इस संग्रहालय का निर्माण कराया गया है जो कि आने वाली युवा पीढ़ियों के लिए यह बताने का काम करेगा कि उनके पूर्वज और उनके सीनियर उनके लिए किस तरह की विरासत को छोड़ गए हैं और अब इन युवाओं के लिए चीजों को आगे बढ़ाने का समय है। वानखेड़े स्टेडियम की बात करें तो यह अपनी परंपराओं पर इतराता रहा है और यहां पर हमने काफी समृद्ध विरासतों का निर्माण होते हुए देखा है। भारतीय क्रिकेट में जब 2011 का विश्व कप महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी कप्तानी में जीता तो भी वह मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में ही जीता गया था। पाटिल इस दौरान कहते हैं कहते हैं कि उस जीत की यादें आज भी हमारे दिलों में चिंता है।