नई दिल्ली। दुनिया भर में फैली घातक महामारी कोरोना वायरस के चलते इन दिनों खेल जगत पूरी तरह से ठप्प पड़ गया है। वहीं इस महामारी के चलते गेंदबाज अब क्रिकेट बॉल पर थूक नहीं लगा सकते जिसको लेकर आईसीसी मैदान पर गेंद के साथ छेड़छाड़ (बॉल टैंपरिंग) को कानूनी बना सकती है। ईएसपीएन क्रिकइंफो की रिपोर्ट के अनुसार गेंद को शाइन करने के लिये थूक का इस्तेमाल नहीं कर पाने के चलते आईसीसी गेंदबाजों को आर्टिफिशियल चीज से शाइन करने की अनुमति दे सकता है। आसान भाषा में कहें तो आईसीसी बॉल टैंपिरिंग को खेल में लीगल करने पर विचार कर रहा है।
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उल्लेखनीय है कि क्रिकेट में गेंद को चमकाने के लिए गेंदबाज थूक (सलाइवा) का इस्तेमाल होता है लेकिन कोरोना वायरस के बाद ऐसी स्थिति से निपटने के लिये आईसीसी कुछ इस तरह का फैसला ले सकती है। रिपोर्ट के अनुसार क्रिकेट प्रशासक (सीईओ) मैदान पर अंपायरों की निगरानी के बीच गेंद को चमकाने के लिए किसी आर्टिफिशियल चीज के इस्तेमाल की अनुमति देने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। हालांकि नियमों के अनुसार यह मामला गेंद से छेड़खानी के दायरे में आता है।
गुरुवार को हुई आईसीसी के मुख्य कार्यकारियों की ऑनलाइन बैठक के बाद मेडिकल समिति के चीफ पीटर हारकोर्ड ने इसको लेकर जानकारी दी।
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उन्होंने बताया,'हमारा अगला कदम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की बहाली का रोडमैप तैयार करना है। इसमें ये देखना होगा कि क्या-क्या कदम उठाने होंगे। इसमें खिलाड़ियों की तैयारी से लेकर सरकार की पाबंदिया और दिशा निर्देश शामिल होंगे।'
गौरतलब है कि आईसीसी की ओर से लंबित इस प्रस्ताव को पूर्व भारतीय गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने समर्थन देते हुए कहा था कि फिलहाल गेंद पर थूक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये।
उन्होंने कहा था, 'खेल बहाल होने पर कुछ समय के लिए सिर्फ पसीने का ही इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि खिलाड़ियों की सुरक्षा सबसे ऊपर है।'
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आपको बता दें कि टेस्ट क्रिकेट में गेंद की चमक काफी अहम होती है क्योंकि इससे गेंदबाजों को स्विंग और रिवर्स स्विंग कराने में मदद मिलती है। अगर इस विकल्प को मंजूरी मिल जाती है, तो यह खेल काफी अनिश्चित हो सकता है। उल्लेखनीय है कि गेंद से छेड़छाड़ करने की कोशिश के मामले में ही स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर को 2018 में एक साल का प्रतिबंध झेलना पड़ा था।