नई दिल्ली। 2013 में क्रिकेट के दामन पर लगे दाग के बाद काफी कुछ बदल गया है। आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के बाद बीसीसीआई के पंख सुप्रीम कोर्ट ने कतर दिए। पिछले साल दो जनवरी को बोर्ड के उस वक्त के अध्यक्ष और बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर को उनके पद से हटाने के बाद अदालत ने विनोद राय की अगुआई में प्रशासको की समिति बनाकर उस बोर्ड में लोढ़ा कमेटी की सिफारिशो को लागू कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
लोढ़ा कमेटी की कुछ सिफारिशों पर फिर से विचार कर थोड़ी नरमी बरतने की बात के बाद अनुराग ठाकुर को खुद के लिए कुछ नया नजर आता दिख रहा है। इसकी शह में उन्होंने खुद को बीसीसीआई के अधिकारी के तौर पर 'अयोग्य' घोषित करने वाले आदेश को वापस लेने की अर्जी दाखिल की है।
अपनी अर्जी में अनुराग ठाकुर ने कहा है कि वह साल 2000 स बीसीसीआई के प्रशासन से जुड़े हैं और सुप्रीम कोर्ट के उन्हें अयोग्य करार देने के आदेश से उन्हें काफी मानसिक प्रताड़ना और बेइज्जती का सामना करना पड़ा है। इसी आधार पर उन्होंने अदालत से गुहार लगाई है।
अनुराग के किस्मत का फैसला तो कोर्ट ही करेगा।फिलहाल अनुराग के मन में कहीं न कहीं बीसीसीआई क हिस्सा बनने की कसक अभी भी मन में है।