नेहरा ने याद किया वो समय
नेहरा ने उस दिन को याद किया जब उन्होंने धोनी को पहली बार देखा और उसका सामना किया। उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा के लिए कॉलम लिखकर इस दिग्गज खिलाड़ी के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करने अनुभवों को बताया। नेहरा ने लिखा, ''धोनी को मैंने पहली बार 2004 में पाकिस्तान जाने से पहले देखा था। तब दलीप ट्रॉफी का फाइनल चल रहा था और मैंने वापसी की थी, लेकिन तब कप्तान सौरव गांगुली ने मुझसे कहा था कि आशु, फाइनल खेलो और मुझे बताओ कि तुम कैसा महसूस कर रहे हो। इस मैच के दाैरान मैंने पहली बार एमएस धोनी को गेंदबाजी की थी। उस समय मैंने जो देखा कि वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में टिका रहने वाला खिलाड़ी।''
धोनी की ताकत ने किया था हैरान
इसके आगे नेहरा ने यह भी बताया कि आखिर कैसे धोनी की ताकत ने उनको हैरान कर दिया था। उन्होंने लिखा, ''उस समय मैं लगातार 140 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर रहा था और उसका एक शॉट गलत तरीके से बल्ले पर लगने के बाद भी गेंद सीमा रेखा के पर छह रनों के लिए चली गई। उनकी ताकत ने मुझे हैरान कर दिया था।'' नेहरा ने धोनी की ताकत का कारण भी बताया। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि ज्यादा जिम नहीं जाते थे, लेकिन वे नियमित रूप से बैडमिंटन और फुटबॉल खेलते थे। इससे उनके शरीर का निचला हिस्सा काफी ताकतवर था।
दिमाग और फुर्ती के कारण बने सबसे तेज विकेटकीपर
धोनी की विकेटकीपिंग का कोई तोड़ नहीं रहा। बल्लेबाज अगर एक इंच भी पैर आगे बढ़ाता है तो धोनी विकेट के पीछे उसके लिए खतरा बन जाते हैं। चीते सी फुर्ती के साथ पलक झपकते ही गिल्लियां बिखेर देते थे। धोनी ने ऐसी विकेटकीपिंग किससे सीखी, इसको लेकर नेहरा का मानना है कि उन्होंने खुद बढ़ते करियर में सीखा। उन्होंने लिखा, ''अगर आप मुझे उनकी विकेटकीपिंग के बारे में पूछते हैं, तो वह निश्चित रूप से सैयद किरमानी, नयन मोंगिया या किरण मोरे के करीब भी नहीं थे। लेकिन समय के साथ, वह बेहतर होते गए और जब उन्होंने अपना करियर समाप्त किया, तो वह अपने दिमाग और फुर्ती के कारण सबसे तेज हाथों वाले कीपर बन गए थे।''