इस खास वजह से रोहित ने चुनी फील्डिंग:
बांग्लादेश के खिलाफ टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी के पीछे एक 13 साल पुराना कनेक्शन है। साल 2005 में भारत, जिम्बाब्वे और न्यूजीलैंड के बीच त्रिकोणीय श्रृंखला खेली जा रही थी।फाइनल में भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुकाबला हुआ और भारत को विकेट से हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में रोहित को डर था कि कहीं 13 साल पुराना संंयोग उनकी साख पर बट्टा ना लगा दे जिसके बाद उन्होंने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की बजाए गेंदबाजी का फैसला लिया।
दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में भारत का रिकॉर्ड:
टीम इंडिया ने एशिया कप के सभी मैच दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में ही खेले हैं और उसका रिकॉर्ड यहां जबर्दस्त रहा है। बांग्लादेश ने इस स्टेडियम में 5 में से 3 मैच जीते हैं, एक मैच टाई रहा है। इस स्टेडियम में भारत ने बांग्लादेश को भी हराया है। भारत ने वो मैच एकतरफा अंदाज में 7 विकेट से जीता था। इस मैच के हीरो रोहित शर्मा ही रहे थे।कप्तान रोहित शर्मा ने नाबाद 83 रनों की पारी खेली थी।
रोहित की तुलना क्लाइव लॉयड से:
हाल ही में सुनील गावसकर ने कप्तान रोहित शर्मा की जमकर तारीफ की थी। उन्होंने रोहित की तुलना वेस्टइंडीज के महान कप्तान क्लाइव लॉयड से करते हुए लिखा कि एशिया कप में कप्तानी कर रहे हिटमैन अपनी भावनाओं पर आसानी से काबू पा लेते हैं। अगर कोई फील्डर कैच छोड़ देता है तो कप्तान रोहित अपने इमोशन (भावनाओं) पर काबू रखते हैं। वह हल्का सा मुस्कुराते हैं और अपनी फील्डिंग पोजिशन पर वापस चले जाते हैं।क्लाइव लॉयड अपनी कप्तानी के दौर में किया करते थे।
बतौर कप्तान रोहित शर्मा का रिकॉर्ड:
31 वर्षीय रोहित शर्मा ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत 2007 में बेलफास्ट में आयरलैंड के खिलाफ की थी। रोहित को कप्तानी का ज्यादा अनुभव तो नहीं है। रोहित शर्मा ने अबतक वन-डे मैचों में कुल तीन बार कप्तानी की है, जिसमें एक मैच वो हारे थे जबकि बाकी दो मैच उन्होंने अपने नाम किए थे। बता दें कि रोहित शर्मा ने कप्तान रहते हुए कभी कोई फाइनल मैच नहीं हारा है। श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने जहां टी-20 और वन-डे सीरीज के निर्णायक मुकाबले जीते हैं। इसके साथ ही निडास ट्रॉफी फाइनल में बांग्लादेश को हराकर भारत ने खिताब पर अपना कब्जा जमाया था।
रोहित का किसी भी टूर्नामेंट या सीरीज के फाइनल मुकाबले में आज तक हार नहीं मिली