क्या कहते हैं आंकड़े :
माही ने 2011में कुल 14 रिव्यू का इस्तेमाल किया जिसमें 3 सफल और 11 असफल हुए थे और 2 बार अंपायर्स कॉल हुआ था। उस साल उनकी सफलता का प्रतिशत 21 फीसदी था वहीं, साल 2013-15 में उन्होंने 5 बार डीआरएस लिया जिसमें तीन सफल और दो असफल हुए । साल 2017 में उनकी मौजूदगी और सहमति से 9 बार डीआरएस लिया गया जिसमें 7 बार उनका फैसला सही हुआ और 2 बार गलत। उनकी सफलता का प्रतिशत 77.78% रहा। कुल मिलाकर धोनी ने 28 बार रिव्यू लिया है जिसमें 13 बार उन्हें सफलता हाथ लगी है और वो 15 बार असफल हुए हैं। उनकी सफलता का प्रतिशत 46.43 फीसदी है।
LBW के फैसले में डीआरएस:
अगर बात LBW के फैसले में डीआरएस लेने की बात की जाए तो उन्होंने 15 बार डीआरएस लिया जिसमें 7 बार उन्हें। सफलता मिली और 8 बार वो असफल रहे हैं। उनकी सफलता का प्रतिशत 46.67 है धोनी ने विकेट के पीछे कैच लेते हुए 11 रिव्यू लिए जिसमें वो 6 बार सफल रहे हैं और 5 बार असफल। उन्होंने इस मामले में 54.55 फीसदी की दर से सफलता पाई है।
विराट भी मानते हैं धोनी का लोहा:
विराट भी डीआरएस लेने में अब तक उतने सफल नहीं हुए हैं जितना कि टीम इंडिया के पूर्व कप्तान धोनी। विकेट के पीछे और चालाक निगाहों के दम पर माही के कुल 52 फीसदी फैसले DRS में सफल हुए हैं।2017 में एक इंटव्यू के दौरान खुद कप्तान विराट कोहली ने कहा था कि वह महेंद्र सिंह धोनी के फैसलों पर आंख बंद करते हामी भरत देते हैं क्योंकि धोनी के रिव्यू शायद ही कभी गलत होते हैं।
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