सिर्फ 5 गेंदबाजों के साथ उतरना विराट को पड़ा भारी
लंबे समय बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी कर रही भारतीय टीम के लिये आज के मैच में प्लेइंग 11 का चुनाव बड़ा सवाल था। कप्तान विराट कोहली ने इस मैच में सिर्फ 5 गेंदबाजों के साथ उतरने का फैसला किया जो कि उनकी टीम पर भारी पड़ गया। भारतीय टीम के लिये जसप्रीत बुमराह (10 ओवर 73 रन एक विकेट), नवदीप सैनी (10 ओवर 83 रन एक विकेट) और युजवेंद्र चहल (10 ओवर 89 रन एक विकेट) बेहद महंगे साबित हुए, जबकि मोहम्मद शमी ( 10 ओवर 59 रन 3 विकेट) सबसे कामयाब गेंदबाज बने। ऐसे में जब सैनी और चहल की पिटाई हो रही थी भारतीय कप्तान को एक और गेंदबाज की कमी खल रही थी।
अच्छी शुरुआत को नहीं भुना सकी टीम इंडिया
वहीं रनों का पीछा करने उतरी भारतीय टीम के लिये एक बार को ऐसा लगा कि शायद वह वनडे क्रिकेट खेलना भूल गई है क्योंकि उसने इस मैच में भी आईपीएल जैसा ही खेल दिखाया। रोहित शर्मा की गैर मौजूदगी में मयंक अग्रवार ने शिखर धवन के साथ पारी का आगाज किया और महज 5 ओवर में 50 रनों की साझेदारी की। हालांकि इसके बाद अगले 9 ओवर में उसने 48 रन के अंदर 4 विकेट खो दिये, जो कि भारतीय टीम से मैच को दूर ले गया। जोश हेजलुवड ने मयंक अग्रवाल (22), विराट कोहली (21) और श्रेयस अय्यर (2) जैसे दिग्गज खिलाड़ियों का विकेट हासिल किया तो एडम जाम्पा ने भी केएल राहुल (12) का विकेट लिया। भारतीय टीम का टॉप ऑर्डर एक अच्छी शुरुआत को भुना पाने में नाकाम रहा। हालांकि पांड्या-धवन के बीच 5वें विकेट के लिये 128 रनों की साझेदारी ने काफी हद तक टीम की जीत की उम्मीदों को जिंदा रखा था।
लगातार 5वीं पारी में फ्लॉप हुए विराट कोहली
भारतीय क्रिकेट टीम के लिये पिछले कुछ सालों में रनों का पीछा करते हुए जीत हासिल करने में कप्तान विराट कोहली की अहम भूमिका रही है। जहां सिडनी वनडे में एरॉन फिंच ने शतकीय पारी खेली तो वहीं कप्तान विराट कोहली सेट होने के बाद अपना विकेट खो बैठे। उन्होंने 21 गेंदों का सामना किया और 2 चौके, एक छक्के की मदद से 21 रनों की पारी खेली। सिडनी के मैदान पर यह 5वां मुकाबला है जब विराट कोहली रनों का अंबार लगा पाने में नाकाम रहे हैं।
कोहली ने पिछली 5 पारियों में 21 (21), 3* (9), 1 (13), 8 (11) और 3 (8) की पारियां खेली हैं। इतना ही नहीं वह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पिछले कुछ समय से अच्छी पारियां खेल पाने में नाकाम रहे हैं। न्यूजीलैंड के खिलाफ 10 अंतर्राष्ट्रीय मैचों (टी20, वनडे, टेस्ट) में वह सिर्फ एक बार ही अर्धशतकीय पारी खेल सके थे। ऐसे में अगर उनका यह क्रम जारी रहता है तो भारत के लिये जीत की राह पर लौटना मुश्किल हो जायेगा।