मैच से पहले जानें क्या बोले रवि शास्त्री
गाबा में खेले गये आखिरी टेस्ट मैच में भारतीय खिलाड़ियों के जज्बे और प्रदर्शन की सभी तारीफ कर रहे हैं लेकिन असल में उन्होंने जिस मानसिकता से मैच खेला उसका श्रेय सपोर्ट स्टाफ को भी जाता है। मैच के आखिरी दिन भारत को जीत के लिये 324 रनों की दरकार थी तो ऐसे में कोच रवि शास्त्री ने मैदान पर टीम के जाने से पहले ड्रेसिंग रूम में जो जीत का मंत्र दिया उसने भारतीय टीम को जीत दिला दी।
मैच के बाद जब शास्त्री से उनके गुरु मंत्र के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा,' मैंने सुबह खिलाड़ियों से बस इतना कहा कि हमारे दौरे का आज आखिरी दिन है। जब हम मैदान पर बाउंड्री लाइन को पार करने के बाद उतरें तो भारतीय टीम के इस बैज को याद रखें। आप भारत के लिये खेल रहे हो, जान लगा दो, यह आखिरी दिन है अपना सबकुछ दे दो, उसके बाद जो होगा देखा जायेगा।'
36 रन पर ऑल आउट होने के बाद भारत ने की जबरदस्त वापसी
गौरतलब है कि भारतीय टीम के लिये इस टेस्ट सीरीज की शुरुआत नाकामी के साथ हुई थी और एडिलेड में खेले गये पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में पूरी टीम महज 36 रन पर ऑल आउट हो गई और 8 विकेट से मैच को गंवा दिया। इसके बाद भारतीय टीम ने मेलबर्न में कप्तान अजिंक्य रहाणे की शतकीय पारी और टीम के योगदान से वापसी करते हुए 8 विकेट से जीत हासिल की।
सीरीज का तीसरा मैच सिडनी में खेला गया जहां पर मैच की आखिरी पारी में भारत को जीत के लिये 408 रनों की दरकार थी और टीम ने पुजारा (77) और पंत (97) के दम पर अच्छा पीछा किया और मैच को जीत की दहलीज पर ले गये, हालांकि इन दोनों के आउट होने के बाद रविचंद्रन अश्विन (39) और हनुमा विहारी (23) ने मैच को बचाने का फैसला किया और दिन के खत्म होने तक मैदान पर टिके रहे। सिडनी मैच ड्रॉ रहा, जिसके बाद गाबा में खेले जाना वाला मैच सीरीज का निर्णायक मैच बन गया।
गाबा में भारत ने रचा इतिहास
आपको बता दें कि सिडनी मैच के दौरान भारतीय टीम के 5 अहम खिलाड़ी चोटिल हो गये थे और लगभग 5 खिलाड़ी पहले दो मैचों मे, ऐसे में भारतीय टीम के लिये गाबा में प्लेइंग 11 का चुनाव कर पाना भी कठिन था जिसके चलते टीम मैनेजमेंट को अपने नेट बॉलर वाशिंगटन सुंदर और टी नटराजन को डेब्यू कराना पड़ा।
अनुभवहीन भारतीय टीम के सामने ऑस्ट्रेलिया को आसानी से जीत मिलती नजर आ रही थी लेकिन गाबा के मैदान पर इन खिलाड़ियों ने गजब का खेल दिखाया और 32 साल में पहली बार ऑस्ट्रेलियाई टीम को उसी के गढ़ में हराने वाली पहली टीम बनी।