शादाब खान ने चटकाया वॉर्नर का विकेट
ऑस्ट्रेलिया के लिये इस मैच में मैथ्यू वेड (40) और मार्कस स्टॉयनिस (41) ने नाबाद 40+ की पारियां खेलकर अपनी टीम को जीत दिलाई लेकिन यह डेविड वॉर्नर थे जिन्होंने शुरुआत में ही अपनी टीम के हाथों से मैच फिसलने से रोका। जब ऑस्ट्रेलिया की टीम ने अपने पहले ही ओवर में एरॉन फिंच का विकेट डक पर गंवा दिया तो वहां पर डेविड वॉर्नर ने मार्कस स्टॉयनिस के साथ पारी को संभाला और दूसरे विकेट के लिये 51 रनों की साझेदारी कर डाली। यहां से शादाब खान ने विकेट गिराना शुरू किया लेकिन दूसरे छोर पर खड़े डेविड वॉर्नर ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी जारी रखी।
वॉर्नर ने 30 गेंदों का सामना कर 49 रनों की पारी खेली जिसके चलते ऑस्ट्रेलिया की टीम ने 10 ओवर्स में 89 रनों बना लिये और मैच में बने रहे, हालांकि 11वें ओवर की पहली गेंद पर शादाब खान ने उन्हें मोहम्मद रिजवान के हाथों कैच कराकर वापस पवेलियन भेज दिया। हालांकि जब रिप्ले देखा गया तो पता चला कि डेविड वॉर्नर के बल्ले से गेंद लगी ही नहीं थी, इसके बावजूद अंपायर ने उन्हें आउट दे दिया। ऐसे में सवाल यह था कि जब गेंद बल्ले का किनारा लेकर निकलती है तो बैटर को जरूर पता होता है और जब वॉर्नर के बल्ले में गेंद लगी ही नहीं तो उन्होंने डीआरएस का सहारा क्यों नहीं लिया जो कि उस समय उपलब्ध भी था।
वेड ने बताया वॉर्नर ने क्यों नही लिया डीआरएस
फैन्स के इस सवाल का जवाब अब टीम की जीत के हीरो रहे मैथ्यू वेड ने दिया और बताया कि क्यों डेविड वॉर्नर ने डीआरएस का फैसला नहीं लिया। 11वें ओवर की पहली गेंद पर जैसे ही गेंद वॉर्नर के बल्ले के पास से निकली शादाब खान और मोहम्मद रिजवान ने जोर से अपील करनी शुरू कर दी और अंपायर ने भी उंगली खड़ी कर दी। वॉर्नर उस वक्त तक शैडो प्रैक्टिस कर रहे थे और आउट दिये जाने के बाद उन्होंने मैक्सवेल की तरफ देखा और वापस पवेलियन की ओर निकल गये। रिप्ले में न तो अल्ट्रा एज में कुछ नजर आया और बल्ले-गेंद के बीच बड़ा गैप भी नजर आया। वॉर्नर अपना अर्धशतक पूरा करने से एक रन से चूक गये।
स्पोर्टसकीड़ा से बात करते हुए मैथ्यू वेड ने कहा,'हां यह सच है कि हमारी इस बारे में कोई ज्यादा बात नहीं हो पायी है, बस चलते-चलते 2-4 बात हुई हैं...मुझे लगता है कि वहां पर एक आवाज आयी थी, लेकिन वो इस बारे में निश्चित नहीं थे कि यह उनके बल्ले का हैंडल था या फिर उनका हाथ बैट पर लगा था उन्हें लगा था कि किनारा नहीं लगा है लेकिन दूसरे छोर पर खड़े ग्लेन ने भी एक आवाज सुनी थी, जिसके चलते वॉर्नर को लगा कि इतनी दूर आवाज तभी जा सकती है जब गेंद बल्ले का किनारा लेकर गई हो।'
मैक्सवेल ने भी सुनी थी आवाज
मैथ्यू वेड ने आगे बात करते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियों में यह तय करना काफी मुश्किल होता है कि गेंद उनके बल्ले से लगकर नहीं गई है। कितनी बार यह होता है कि जब बल्लेबाज को यह नहीं लगता है कि गेंद उसके बल्ले का किनारा लेकर नहीं गई है।
उन्होंने कहा,'दूसरे छोर पर खड़े ग्लेन मैक्सवेल ने भी कोई आवाज सुनी थी, अगर दूसरे छोर पर खड़ा साथी खिलाड़ी आपको हिम्मत देता है तो आपको लगता है कि आप डीआरएस के लिये जायें या नहीं। लेकिन जब मैक्सी वहां पर थे तो उन्होंने भी आवाज सुनी थी ऐसे में वॉर्नर को लगा कि उन्हें डीआरएस नहीं लेना चाहिये।'