चैरिटी मैच में लगी थी टिम पेन को चोट
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान टिम पेन ने चोट के बारे में बात करते हुए कहा कि उन्हें साल 2010 में एक चैरिटी मैच के दौरान डर्क नैनस की गेंद पर यह चोट लगी थी। इसके चलते उनकी दायें हाथ की अंगुली टूट गई थी, जिससे उबरने के लिये पेन को 7 बार सर्जरी करनी पड़ी जिसमें उन्हें 8 पिन, धातु की एक प्लेट और कूल्हे की हड्डी के एक टुकड़े का सहारा लेना पड़ा था। इस चोट के चलते टिम पेन क्रिकेट के 2 सेशन तक दूर से रहे।
उन्होंने कहा, 'जब मैंने फिर से खेलना और कोचिंग शुरू की तो मैं बहुत अच्छा नहीं कर रहा था। जब मैंने तेज गेंदबाजों का सामना करना शुरू किया तब मेरा ध्यान गेंद को मारने से ज्यादा अंगुली को बचाने पर रहता था। जब गेंदबाज रनअप शुरू करते थे तब मैं प्रार्थना करता था, 'जीसस क्राइस्ट मुझे उम्मीद है कि वह मुझे अंगुली पर नहीं मारेंगे।'
टिम पेन खो चुके थे आत्म-विश्वास, निजी जीवन को भी किया प्रभावित
टिम पेन ने बताया कि भले ही अभी उनका करियर और टीम में अभी प्रदर्शन शानदार है लेकिन एक वक्त था जब वो अपना आत्म विश्वास इस कदर तक खो चुके थे कि उन्हें अपने निजी जीवन में भी काफी संघर्ष करना पड़ा था।
उन्होंने कहा, 'यहां से मेरे खेल में गिरावट आने लगी। मैंने बिल्कुल आत्मविश्वास खो दिया था। मैंने इसके बारे में किसी को नहीं बताया। सच्चाई यह है कि मैं चोटिल होने से डर रहा था और मुझे नहीं पता था कि मैं क्या करने जा रहा हूं। मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैं ठीक से खा नहीं पा रहा था। मैं खेल से पहले इतना घबरा गया था, मुझ में कोई ऊर्जा नहीं थी। इसके साथ जीना काफी भयानक था। मैं हमेशा गुस्से में रहता था और उसे दूसरे पर निकालता था।'
खुद से शर्मिंदा हो गये थे टिम पेन
टिम पेन ने आगे बात करते हुए कहा कि वह अपनी हालत से काफी शर्मिंदा हो गये थे और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं जिसके बाद उन्होंने तस्मानिया क्रिकेट के एक खेल मनो वैज्ञानिक से संपर्क किया जिसका उन पर सकारात्मक असर देखने को मिला।
पेन ने कहा, 'मैं शर्मिंदा था कि मैं क्या बन गया था। मुझे क्रिकेट के लिए प्रशिक्षण पसंद है और मुझे क्रिकेट देखना बहुत पसंद है। लेकिन मुझे यकीन था कि मैं फेल होने जा रहा हूं। किसी को मेरे संघर्ष के बारे में पता नहीं था। मेरी पार्टनर को भी नहीं, जो अब मेरी पत्नी भी है। ऐसा भी समय था कि जब वह मेरे साथ नहीं थी तब मैं काउच पर बैठ कर रोता था। यह अजीब था और यह दर्दनाक था। पहली बार मैं उसके साथ केवल 20 मिनट के लिए बैठा और मुझे याद है कि उस कमरे से बाहर निकला तो मैं बेहतर महसूस कर रहा था। इससे उबरने का पहला कदम यही था कि मुझे अहसास हुआ कि मुझे मदद की जरूरत है। इसके छह महीने बाद मैं पूरी तरह ठीक हो गया था।'