1. रोहित शर्मा
निश्चित तौर पर रोहित इस दशक के सबसे बड़े वनडे ओपनर के तौर पर उभरे हैं। शुरुआत में रोहित विदेशों में नई गेंद का सामना करने के लिए संघर्ष करते थे। साल 2011 से 2013 तक उन्होंने खुद को समझने में वक्त लिया लेकिन उसके बाद पिछले 6 साल से उन्होंने अलग ही स्तर का खेल दिखाया है। रोहित ने इसी बीच विश्व कप में 6 शतक जड़कर सचिन तेंदुलकर की बराबरी की है और उनके पांच शतक तो 2019 विश्व कप में आए थे।
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रोहित के आंकड़े खुद पूरी तस्वीर बयां करते हैं। 177 मैचों में, उन्होंने 52.92 के औसत से 7,991 रन बनाए और किसी भी सलामी बल्लेबाज ने उनसे अधिक रन नहीं बनाए। उनकी झोली में 27 शतक, 3 दोहरे शतक, एक मनमौजी खिलाड़ी और 200 से अधिक छक्के हैं जिनको लगाने वाले वे एकमात्र क्रिकेटर भी हैं।
2. हाशिम अमला
इस दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी को वनडे फार्मेट में अपनी शानदार निरंतरता के लिया याद किया जाता है। विश्व कप 2019 के बाद संन्यास लेने वाले एशियाई मूल के दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने वनडे में सबसे तेज 2000, 3000, 4000, 5000, 6000 और 7000 रन बनाए और उन्होंने इसी दशक में ये सब किया। उन्होंने इस दशक में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में दक्षिण अफ्रीका के लिए सबसे अधिक रन बनाए।
159 मैचों में, अमला ने लगभग 50 के औसत से 7265 रन बनाए और बहुत ही परंपरागत बल्लेबाजी शैली के बावजूद, उन्होंने 89.11 की स्ट्राइक-रेट के साथ स्कोर किया। उन्होंने इन 10 वर्षों में 26 शतक लगाए, जो उन्हें इस समय के दौरान कोहली और रोहित के बाद तीसरा सबसे ज्यादा शतक बनाने वाला खिलाड़ी बनाता है।
3.विराट कोहली
कोहली के बारे में क्या कहना बाकी है? पहले से ही सबसे महान एकदिवसीय खिलाड़ी के रूप में प्रतिष्ठा हासिल कर चुके कोहली इस बिना किसी विवाद के इस दशक के सबसे बड़े वनडे खिलाड़ी हैं। विराट कोहली उन ऊंचाइयों को छू रहे हैं, जो पहले केवल सचिन तेंदुलकर को नसीब हुई है।
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कोहली का दशक विश्व कप जीत के साथ शुरू हुआ, जहां उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ शानदार शतक बनाया और फाइनल में भी 35 रन बनाए। 2015 विश्व कप उम्मीद के अनुसार नहीं चला, लेकिन वह 2019 संस्करण में महत्वपूर्ण रन बना रहे थे। रन बनाने की उनकी अटूट भूख उनके खेल का एक आकर्षक पहलू रही है
इस दशक में 10,000 से अधिक रन बनाने वाले एकमात्र क्रिकेटर, कोहली ने 61.31 की औसत के साथ 11036 रन बनाए हैं। उन्होंने इस दशक में 42 शतक और 51 अर्धशतक बनाए, जिसमें करियर की सर्वश्रेष्ठ 183 रनों की पारी भी थी, जो 2012 में कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ आई थी।
4. एबी डिविलियर्स
अगर कोहली इस दशक के सबसे महान वनडे बल्लेबाज हैं तो डिविलियर्स इस दशक में क्रिकेट को अपने शॉट्स से बदलने वाले बल्लेबाज रहे हैं। मिस्टर 360 नाम से मशहूर एबी डीविलियर्स ने दुनिया को अपने कारनामों से अवगत कराया। उन्होंने रनों से जिस आतिशबाजी का शुरू किया उसको टी-20 में अब कई खिलाड़ी फॉलो कर रहे हैं।
उनकी कप्तानी में, दक्षिण अफ्रीका 2015 में विश्व कप उठाने के बहुत करीब आ गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वे न्यूजीलैंड के साथ सेमीफाइनल में करीबी रूप से हार गए थे। अपने संन्यास की घोषणा कर चुके इस खिलाड़ी को 2019 विश्व कप खेलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और अब वे दुनिया भर की टी-20 लीग में खेलते हैं।
एबी डिविलियर्स का इस दशक में किसी भी अन्य बल्लेबाज की तुलना में, यहां तक की विराट कोहली से भी बेहतर औसत है। उन्होंने 64.20 की औसत से 6485 रन बनाए, जो 109.76 के स्ट्राइक रेट से आए। उन्होंने 21 शतक और 33 अर्द्धशतक भी जमाए। साथ ही 2015 में इस प्रारूप में 50, 100 और 150 रन भी बनाए।
5. रॉस टेलर
रॉस टेलर हमेशा अंडररेटेड रहें हैं। क्रिकेट जगत में उन्हें वह श्रेय नहीं मिला जिसके वह हकदार हैं। रॉस टेलर 2015 और 2019 में न्यूजीलैंड के लिए दो विश्व कप फाइनल में एक अभिन्न हिस्सा थे। 2011 में यह टीम सेमीफाइनल में भी पहुंची, जहां टेलर ने कुछ विस्फोटक पारियां खेली थी। उनकी बल्लेबाजी की स्थिति कभी-कभी परिस्थितियों के अनुसार तैरती रही, लेकिन उनकी बैटिंग करने की क्षमता पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
उन्होंने देश के लिए 155 खेल खेले, जिसमें 54.01 के औसत से 6428 रन बनाए, जो कि उन परिस्थितियों में विचार करने के बाद और भी ज्यादा अच्छे आंकड़े लगने लगते हैं जिनमें टेलर कई बार खेले। इस दौरान उनकी झोली में 17 शतक भी शामिल हैं, 39 अर्धशतकों के साथ।
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6. 'कप्तान' महेंद्र सिंह धोनी
विराट कोहली की तरह से धोनी के बिना इस दशक के बैटिंग ऑर्डर की कल्पना नहीं की जा सकती। केवल एक बल्लेबाज ही नहीं बल्कि कप्तान के तौर पर भी धोनी इस बैटिंग ऑर्डर का हिस्सा बनने का हक रखते हैं। वे सभी तीन आईसीसी विश्व ट्रॉफी उठाने वाले कप्तान हैं। हालांकि इस दशक में धोनी पहले जैसे मुखर बल्लेबाज नहीं रहे और बाद में एक शिल्पी की भूमिका में उतरते ज्यादा दिखाई दिए लेकिन हर समय मध्यक्रम में उनकी उपस्थिति टीम का बड़ा पॉजिटिव पॉइंट साबित हुई।
उन्होंने इस दशक में 196 मैचों में 50.35 की औसत से 5640 रन बनाए और 85 से अधिक की स्ट्राइक-रेट की बैटिंग। उन्होंने इस प्रक्रिया में 4 शतक लगाए और 39 अर्धशतक भी बनाए, जिनमें से अधिकांश उन्होंने नंबर 5 या नीचे पर बल्लेबाजी करते हुए बनाए।