'ये भारतीय क्रिकेट में कुछ अच्छा करने का समय है'
गांगुली ने युवराज सिंह को किए एक ट्वीट के बहाने ही अपनी राय साफ कर दी थी कि ये समय भारतीय क्रिकेट के लिए कुछ अच्छा काम करने का है। गांगुली के इस ट्वीट से उनकी प्रतिबद्धता और आत्मविश्वास और नजरिए तीनों का पता लगता है। गांगुली ने रूट लेवल पर काम करने के लिए तय किया है कि प्रथम श्रेणी क्रिकेट ही उनका पहली प्राथमिकता होगा। उन्होंने कहा, 'मेरे लिए, मेरा सबसे बड़ा फोकस प्रथम श्रेणी क्रिकेट होगा। मैं प्रथम श्रेणी के खिलाड़ियों की देख-रेख करने में बहुत मुखर रहा हूं, खासतौर पर वे जितना समय क्रिकेट को देते हैं। वही क्रिकेट आपका आधार और ताकत है। मैंने पिछले तीन वर्षों में कई बार लिखा है लेकिन मेरी बात ज्यादा सुनी नहीं गई। ऐसे में अब जब गांगुली ही कर्ता-धर्ता हैं तो निश्चित तौर पर यहां प्रथम-श्रेणी क्रिकेट ढांचे में और भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल सकता है।
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आईसीसी इवेंट में प्रदर्शन और विश्व कप पर नजरिया-
ग्लोबल या आईसीसी इवेंट पिछले कुछ समय से ऐसी प्रतियोगिताएं रही हैं जिसमें भारत का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहता है। ऐसे में जबकि अगले साल टी20 विश्व कप सिर पर है तो गांगुली आईसीसी प्रतियोगिताओं में टीम इंडिया के कमतर प्रदर्शन पर जरूर नए सिरे से काम करना चाहेंगे। बता दें कि गांगुली आईसीसी प्रतियोगिताओं के महत्व पर शुरू से ही जोर देते रहे हैं। हाल ही में आईसीसी ये योजना बना रहा है कि भविष्य में टी20 विश्व कप हर साल और 50 ओवर का विश्व कप हर तीन साल में आयोजित किया जाए। गांगुली ने इस बारे में आगे कहा है कि कई बार थोड़ी ही ज्यादा होता है। यानी दादा गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति के तहत काम करने की योजना बना रहे हैं। इसमें शक नहीं आईसीसी इवेंट गांगुली के टॉप एजेंडे में एक होंगे।
पिंक बॉल टेस्ट-
इस समय भारत ही एकमात्र देश है जिसने गुलाबी गेंद टेस्ट यानी दिन-रात टेस्ट मैचों को लेकर अपना रवैया नहीं बदला है। जबकि गांगुली टेस्ट मैचों में इस तरह के बदलावों के पक्ष में रहे हैं। एक समय तो ऐसा भी था जब ईडन गार्डन में दिन-रात टेस्ट मैच होने की योजना बनाई गई थी जिसको बाद में बीसीसीआई ने लाल झंडी दिखा दी थी। ऐसे में गांगुली निकट भविष्य में दिन-रात टेस्ट मैचों को कराने के पक्ष में काम कर सकते हैं।
'शास्त्री ने अब क्या कर दिया'-दादा बनाम हेड कोच
शास्त्री और गांगुली के बीच छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। हाल ही में अध्यक्ष पद के लिए चयनित होने के बाद गांगुली से सब मीडिया में सवाल किया गया था कि उन्होंने अभी तक शास्त्री से बात की है या फिर नहीं तो उनका कहना था- 'क्यों, अब उन्होंने क्या कर दिया?' मजाक में ही सही, लेकिन यह लाइन दोनों दिग्गजों के बीच हुई अनबन का ही एक हिस्सा है। दूसरी ओर शास्त्री और कोहली के बीच की नजदीकियां भी खुलेआम हैं। ऐसे में बतौर कोच शास्त्री की भूमिका पर कोई आंच नहीं आने वाली है लेकिन अगले कुछ दिनों में अगर भारतीय टीम उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करने या फिर मैनेजमेंट संबंधी किसी दिक्कत का सामना करती है तो गांगुली शास्त्री को सवालों के मेल भेजने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे। खास बात यह है कि गांगुली खुद टीम इंडिया का मुख्य कोच बनने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। ऐसे में शास्त्री के काम का निरीक्षण अब पहले की तुलना में और ज्यादा बारीकी से होने की उम्मीद है।
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महेंद्र सिंह धोनी पर दादा-
धोनी मंगलवार को रांची टेस्ट समाप्त होते ही टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में दिखाई दिए थे लेकिन एक बार फिर से उनके भविष्य को लेकर पूरी तरह से असमंजसता की वो स्थिति बरकरार है जिस पर स्पष्टता होने जरूरी है। फिलहाल टीम प्रबंधन और बीसीसीआई आला कमान में ऐसा कोई इंसान नहीं बैठा है जो अपनी मर्जी से टीम से बाहर चल रहे धोनी से यह सवाल कर सके कि आपकी भविष्य को लेकर क्या योजनाएं हैं। गांगुली के अध्यक्ष पद संभालने के बाद इस बात के आसार हैं कि इन चीजों में बदलाव आएगा और अध्यक्ष ऑफिस से धोनी को किसी भी समय कॉल जा सकता है कि अपना प्यूचर प्लॉन अब शेयर कर दीजिए या फिर विदाई के लिए योजना बता दीजिए ! इसकी बानगी गांगुली ने दे दी है। सौरभ गांगुली ने पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के भविष्य को लेकर अपना रुख साफ करते हुए कहा कि वह इस बारे में पहले चयनकर्ताओं से बात करेंगे और फिर उसके बाद ही इस पर कोई फैसला लिया जायेगा।
कौन होगा चीफ नेशनल सेलेक्टर?
2006 में जब सब लोग टीम इंडिया के लिए गांगुली की उपयोगिता पर सवाल उठा रहे थे तब दिलीप वेंगसरकर एकमात्र ऐसे शख्स थे जिन्होंने गांगुली को फिर से खेलने का मौका दिया था। उन्होंने ना केवल गांगुली को दक्षिण अफ्रीका सीरीज के लिए मौका दिया बल्कि 2007 विश्व कप के लिए भी चुना। जबकि ये वो समय था जब किरन मोरे (चीफ सेलेक्टर) और ग्रेग चैपल (कोच) ने गांगुली को पूरी तरह से चूका हुआ मान लिया था। ऐसे में गांगुली के पास एक मौका है। देखने वाली बात यह होगी कि वह दिलीप वेंगसरकर को एक बार फिर से नेशनल चीफ सेलेक्टर चुनते हैं या फिर नहीं।
हितों के टकराव का मामला-
गांगुली ने इस मामले को खुद ही अपनी प्राथमिकता में गिनाया है। पिछले कुछ समय से राहुल द्रविड़ के राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के प्रमुख के रूप में नियुक्ति के बाद यह मु्द्दा किसी ज्वलंत विषय की भांति दहक रहा है। 47 साल के गांगुली ने इस पर बात करते हुए कहा, "यह एक ऐसा मुद्दा है जो मुझे लगता है कि वास्तव में इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सभी नियुक्तियों को देखें जो विभिन्न रूपों में हुई हैं - चाहे वह राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए), क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी), और बल्लेबाजी की नियुक्ति हो। कोच या फील्डिंग कोच, हर चीज के साथ एक मुद्दा रहा है। इसलिए, उस मुद्दे को हल करने की जरूरत है और भारतीय क्रिकेट में यह एक और गंभीर मुद्दा है।