नई दिल्ली। क्रिकेट का विकास दुनिया में फुटबॉल की तरह से तेजी से नहीं हुआ है। अंधाधुंध पैसा और विकसित देशों की जीवन-शैली में आसानी से ढलने के कारण फुटबॉल तो यूरोपीय देशों की जान बनता गया तो वहीं क्रिकेट धीरे-धीरे विकास की अवस्थाओं से गुजरता हुआ आज टी-20 के बेहद सफल प्रारूप तक जा पहुंचा है। खासकर भारतीय उपमहाद्वीप में क्रिकेट की वही अहमियत है जो यूरोप में फुटबॉल की।
उपमहाद्वीप की बात करें तो एशिया में बड़ी टीमों के बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट फिलहाल यहीं पर खेला जाता है। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका के अलावा अब बांग्लादेश जैसी टीम भी दुनिया में क्रिकेट का डंका बजा रही हैं। जबकि अफगानिस्तान उभरता हुआ नया सितारा है।
इतना ही नहीं, अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो भारत के एक अन्य समुद्री पड़ोसी मालदीव में भी क्रिकेट का विकास देखने को मिल सकता है। इसके लिए बीसीसीआई ने अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। भारतीय बोर्ड ने अपना आला अधिकारी मसलन सबा करीम और इंडिया ए के फील्डिंग कोच अभय शर्मा को मालदीव भेजने की तैयारी कर ली है।
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ये दोनों मई के अंत तक इस द्वीपीय देश का दौरा करेंगे। फिलहाल मालदीव को एक एसोसिएट सदस्य का दर्जा प्राप्त है और उसने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट 1996 से खेलना शुरू किया था। आपको बता दें कि इससे पहले मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलेह अप्रैल में आईपीएल के मैच के दौरान बेंगलुरु आए थे। जहां पर उन्होंने धोनी और कोहली से मुलाकात की थी। सोलेह को क्रिकेट का बड़ा फैन माना जाता है।
वैसे भारत सरकार भी खुद मालदीव में क्रिकेट के विकास पर दिलचस्पी ले रही है। इस बारे में बात करते हुए बीसीसीआई के एक अधिकारी ने बताया, 'सरकार ने हमसे मालदीव क्रिकेट की सहायता करने के लिए कहा है और हमको ऐसा करने में खुशी होगी। अधिकारी वहां जाएंगे और देखेंगे की वहां पर किस तरह हम अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे सकते हैं।'