हमने छोड़ दी थी उनके हेड कोच बनने की उम्मीद
सौरव गांगुली ने बोरिया मजूमदार के इंटरव्यू शो 'बैकस्टेज विद बोरिया' में इस बात का खुलासा करते हुए बताया कि एक वक्त तो ऐसा भी आ गया था जब हम सब ने उम्मीद छोड़ दी थी कि वो हेड कोच की जिम्मेदारी संंभालेंगे। उन्हें मनाने के लिये सौरव गांगुली और बीसीसीआई सचिव जय शाह ने लगातार कई कोशिशें की थी लेकिन उसके बावजूद वो कोच बनने से इंकार कर रहे थे। सौरव गांगुली ने राहुल द्रविड़ के बार-बार इंकार करने के फैसले के पीछे का कारण बताता हुए कहा कि ऐसा नहीं कि वो टीम के साथ काम नहीं करना चाहते थे लेकिन उनके इंकार करने की मुख्य वजह थी हेड कोच बनने के बाद इस काम में खर्च होने वाले समय। राहुल द्रविड़ इस बात को अच्छे से जानते हैं कि भारतीय टीम दुनिया के सबसे ज्यादा बिजी शेड्यूल वाली टीमों में से एक है जिसके चलते उसके खिलाड़ियों को लगातार लंबे समय तक के लिये घर से दूर रहकर क्रिकेट खेलना पड़ता है। इसी वजह से वो हेड कोच बनने से इंकार कर रहे थे।
एनसीए हेड बनने के बावजूद हम कर रहे थे कोशिश
उन्होंने कहा,'मेरे और जय शाह के दिमाग में राहुल द्रविड़ का नाम लंबे समय से था लेकिन वो इस बात के लिये मान नहीं रहे थे। उन्हें पता था कि नेशनल टीम के लिये काम करने का मतलब है कि आपको 8-9 महीने के लिये घर से दूर रहना पड़ता है और उनके दो छोटे बच्चे हैं। एक वक्त तो ऐसा आ गया था जब हम हार मान बैठे थे। वह एनसीए के हेड नियुक्त हो गये थे ताकि चीजों को आगे बढ़ा सकें। हमने इंटरव्यू और बाकी सभी चीजें कर ली थी और वो दोबारा एनसीए हेड बन गये थे लेकिन उनकी नियुक्ति के बावजूद हम उन्हें हेड कोच बनने के लिये मना रहे थे और बार-बार कह रहे थे।'
तो ऐसे हेड कोच बनने के लिये माने द्रविड़
सौरव गांगुली ने आगे बात करते हुए बताया कि कुछ निजी कॉल्स पर बात करने के बाद जब मैंने राहुल द्रविड़ को ये बताया कि सिर्फ बीसीसीआई ही नहीं बल्कि भारतीय टीम के खिलाड़ी भी उन्हें टीम के साथ चाहते हैं, तो जाकर वो हेड कोच की जिम्मेदारी लेने को राजी हुए।
उन्होंने कहा,'जब हमने खिलाड़ियों से इस बारे में बात की और पूछा कि वो किस तरह का कोच चाहते हैं तो आप साफ देख सकते थे कि उनका झुकाव राहुल द्रविड़ की तरफ ज्यादा था, तो हमने इस बारे में राहुल को बताया। मैंने निजी तौर पर उसे फोन किया और बताया कि मुझे पता है कि यह काफी मुश्किल है लेकिन सिर्फ 2 साल के लिये कर के देख लो, अगर ज्यादा मुश्किल लगेगा तो हम दूसरा रास्ता देखेंगे। हम भाग्यशाली हैं कि वो मान गये। मुझे नहीं पता कि किस बात ने उन्हें फैसला बदलने के लिये मनाया लेकिन हम खुश किस्मत हैं कि वो इस बात के लिये मान गये। रवि शास्त्री के जाने के बाद कोचिंग के मामले में बीसीसीआई राहुल द्रविड़ से बेहतर विकल्प नहीं ला सकते थे।'
जीत के साथ द्रविड़ ने किया करियर का आगाज
गौरतलब है कि राहुल द्रविड़ ने हेड कोच रवि शास्त्री को रिप्लेस किया जिनका कार्यकाल यूएई में खेले गये टी20 विश्वकप 2021 के बाद समाप्त हुआ है। अब राहुल द्रविड़ 2023 वनडे विश्वकप तक भारतीय टीम के हेड कोच की जिम्मेदारी संभालेंगे। राहुल द्रविड़ ने रोहित शर्मा की कप्तानी के साथ अपने कोचिंग करियर की शुरुआत की और कीवी टीम को 3-0 से हराकर नये अध्याय का आगाज किया। वहीं विराट कोहली के साथ टेस्ट सीरीज में न्यूजीलैंड को 1-0 से मात दी। अब राहुल द्रविड़ को भारत के साथ साउथ अफ्रीका दौरे पर 3 मैचों की टेस्ट और वनडे सीरीज खेलने के लिये जाना है।