नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने देश भर में घरेलू क्रिकेट के ढांचे में जबरदस्त बदलाव करते हुए सोमवार को राज्य संघों से जुड़े मानक संचालन प्रक्रिया (SOPs) को जारी किया है। इसके एसओपी के अनुसार घरेलू क्रिकेट से जुड़े कई नियमों को बदला गया है ताकि घरेलू क्रिकेट के स्तर को और बढ़ाया जा सके। जहां इससे घरेलू क्रिकेट को मजबूती मिलेगी तो वहीं पर 60 की उम्र पार कर चुके कई दिग्गजों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
बीसीसीआई की ओर से राज्य संघों को जारी किये गये SOPs में 60 साल से अधिक के व्यक्तियों को ट्रेनिंग कैंप का हिस्सा बनने से रोकती है जिसका असर अरुण लाल और ऑस्ट्रेलियाई डेव वॉटमोर पर पड़ सकता है जो क्रमश: बंगाल और बड़ौदा की टीमों के कोच हैं।
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उल्लेखनीय है कि बड़ौदा की टीम ने अप्रैल में 66 साल के वॉटमोर को अपनी टीम का कोच नियुक्त किया था जबकि 65 साल के अरुण लाल के मार्गदर्शन में बंगाल ने मार्च में रणजी ट्रॉफी फाइनल में जगह बनाई थी।
बीसीसीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, '60 साल से अधिक की उम्र के सहयोगी स्टाफ, अंपायर, मैदानी स्टाफ और मधुमेह जैसी बीमारियों का उपचार करा रहे लोग, कमजोर इम्युनिटी वालों के लिए कोविड-19 को जोखिम अधिक माना जा रहा है। सरकार के उचित दिशानिर्देश जारी करने तक ऐसे व्यक्तियों को शिविर की गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोका जाना चाहिए।'
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अरुण लाल और वाटमोर दोनों सत्र पूर्व ट्रेनिंग शिविर में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) के अध्यक्ष अविषेक डालमिया प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं थे लेकिन बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 'यह एसओपी है। किसी भी टीम के लिए नियमों का उल्लंघन बेहद मुश्किल होगा। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अरूण लाख या वाटमोर जैसे कोच को बाहर रहना होगा।'