नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने गुरुवार को 38 में से आठ राज्य इकाइयों को 23 अक्टूबर को होने वाली वार्षिक आम बैठक यानी एजीएम में भाग लेने से रोक दिया।
ये आठ राज्य हैं- मणिपुर, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा, महाराष्ट्र, रेलवे, सेवा और भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ। इनको आगामी एजीएम में भाग लेने से रोक दिया गया है। एजीएम के दौरान चुनाव होने की स्थिति में इन राज्यों को वोट देने का कोई अधिकार नहीं होगा।
तीन सरकारी संस्थानों पर इसलिए रोक लगा दी गई क्योंकि वे एक खिलाड़ी संघ (प्लेयर्स एसोसिएशन) बनाने में विफल रहे हैं। एजीएम बैठक में, पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल (सीएबी) का प्रतिनिधित्व करेंगे, जबकि रजत शर्मा और मोहम्मद अजहरुद्दीन क्रमशः दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) और हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के रूप में भाग लेंगे।
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इससे पहले बुधवार को प्रशासकों की समिति (सीओए) के करीबी एक सूत्र ने तीन राज्य क्रिकेट संघों - हरियाणा, तमिलनाडु और महाराष्ट्र की गैर-भागीदारी पर सवाल उठाए थे। इन तीन राज्य संघों को बीसीसीआई की आगामी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में भाग लेने से रोक दिया गया है क्योंकि उन्होंने सिफारिश के अनुसार संविधान में संशोधन नहीं किया है। इस बात की जानकारी समाचार एजेंसी एएनआई के सूत्रों से मिली है।
इससे पहले प्रशासकों की समिति (सीओए) बनाम तमिलनाडु क्रिकेट संघ (टीएनसीए) का मामला भी खूब चला है। सीओए ने टीएनसीए को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि तमिलनाडु क्रिकेट संघ का संविधान 21 नियमों पर लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक काम नहीं करता है। सीओए ने टीएनसीए को इस पर काम करने के लिए कहा था ताकि 23 अक्टूबर को होने वाली संघ सदस्यों की बैठक में टीएनसीए शामिल हो सके।
हालांकि सीओए के इस नोटिस पर टीएनसीए के वकील अमोल चिताले ने साफ कर दिया है कि इस तरह के फैसले सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ले सकती है। राज्य संघों का मानना है कि संविधान ठीक नहीं है इस पर कोर्ट ही फैसला लेगी। यह सीओए तय नहीं कर सकता कि संविधान सही है या गलत।