बीसीसीआई को टाइटल स्पॉन्सरशिप से हुई सिर्फ 56.81% नुकसान की भरपाई
उल्लेखनीय है कि बीसीसीआई को हर साल आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सरशिप के जरिये चीनी स्मार्टफोन कंपनी 440 करोड़ रुपये देती थी। ऐसे में बीसीसीआई को उम्मीद थी कि वो बोली के जरिये अपनी कुल रकम का कम से कम 75% नुकसान निकाल सके, हालांकि आखिरी समय पर जियो, पतंजलि और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनियों के हाथ पीछे खींच लने के चलते वह कुल नुकसान का सिर्फ 56.81% ही जुटा सकी। ड्रीम 11 ने आईपीएल 2020 की टाइटल स्पॉन्सरशिप को 250 करोड़ की बोली में अपने नाम कर लिया है।
आधिकारिक स्पॉन्सर बढ़ाने की सोच रहा बीसीसीआई
उल्लेखनीय है कि बीसीसीआई को कोरोना महामारी के बीच बिगड़ती हुई आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये कम से कम 300 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि टाइटल स्पॉन्सरशिप से जुटानी थी, हालांकि वह हो नहीं सका तो अब बीसीसीआई अपने आधिकारिक पार्टनर के 3 स्लॉट को बढ़ाकर 5 करना चाहता है ताकि नुकसान के अंतर को और भी कम किया जा सक। बीसीसीआई के लिये आईपीएल में ड्रीम 11, जियो और टाटा पहले से ही आईपीएल का एक आधिकारिक पार्टनर है।
वहीं ड्रीम 11 के टाइटल स्पॉन्सर बनने के बाद से एक ऑफिशियल पार्टनर की जगह खाली हो गई है जिसकी रेस में अनअकेडमी और बायजु प्रतिस्पर्धा में हैं। ऐसे में अगर बीसीसीआई 2 और स्लॉट बढ़ा देता है तो उसे नुकसान की भरपाई करने में काफी मदद मिलेगी।
फाइनल बिड के मैदान में नहीं उतरे यह दिग्गज
आईपीएल 2020 की टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिये भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने कंपनियों से बोली लगाने के लिए 10 अगस्त से ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट' मांगे थे जिन्हें 14 अगस्त तक जमा करना था। इस दौरान कई बड़ी कंपनियों जैसे जियो (Jio), बाबा रामदेव की उपभोक्ता वस्तुओं की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद, एमेजॉन, ड्रीम 11, बायजुस और माइक्रोसॉफ्ट ने अपना इंटरेस्ट दिखाया जिसके बाद बोर्ड को बोली से 300 करोड़ रुपये तक मिलने की उम्मीद थी। हालांकि फाइनल बिड से 6 घंटे पहले जियो, पतंजलि, एमेजॉन और माइक्रोसॉफ्ट ने अपने हाथ वापस खींच लिये और नतीजन बोली 250 करोड़ तक ही जा सकी।