नई दिल्ली: आखिरकार बीसीसीआई और नाडा (नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी) के बीच लंबे समय से जारी उठापटक का दौर समाप्त हो गया है और अब बीसीसीआई नाडा के दायरे में आ गया है। इसका मतलब साफ यह है कि अब तमाम भारतीय क्रिकेटरों का टेस्ट नाडा के द्वारा किया जाएगा। बीसीसीआई इस पर सहमत हो चुका है। इस बात की जानकारी खुद खेल सचिव ने दी है।
बता दें कि बीसीसीआई लंबे समय से अपने खिलाड़ियों का टेस्ट नाडा के द्वारा कराने से बचता रहा था। इसके पीछे बीसीसीआई का तर्क था कि वह नाडा की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं है। इस बारे में बात करते हुए बीसीसीआई के एंटी डोपिंग अधिकारी अभिजीत साल्वी कह चुके हैं- अगर हम नाडा के प्रदर्शन से खुश रहे होते तो बीसीसीआई को इस मामले में कोई भी दिक्कत नहीं थी। मुझे यकीन है कि आपने भी नाडा की खामियों के बारे में रिपोर्ट्स पढ़ी होंगी।
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हालांकि अब खेल सचिव आरएस जुलानिया ने साफ कर दिया है कि बीसीसीआई को नाडा के तहत ही अपने खिलाड़ियों का टेस्ट कराना होगा। उन्होंने इस बारे में बात करते हुए कहा, "बीसीसीआई के पास अब मना करने के लिए कोई ठोस कारण नहीं है। सभी समान हैं, सभी को समान नियमों का पालन करना होगा।"
आपको बता दें कि विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने भी कुछ समय पहले आईसीसी ने साफ तौर पर कहा था बीसीसीआई को नाडा के दायरे में आना होगा। इसमें बीसीसीआई कुछ शर्तों के साथ तैयार हुआ था। हाल में ही पृथ्वी शॉ के नमूने की जांच भी नेशनल डोपिंग टेस्ट लैब ने की थी जो नाडा के तहत काम करती है।
बीसीसीआई ने गुरूवार को ही इस बात का खुलासा किया था कि शॉ के नमूने को एकत्र करने और फाइनल रिपोर्ट पेश करने में दो माह की देरी कर दी गई। ऐसा करके बीसीसीआई ने साफ तौर पर नाडा की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर से निशाना साधा था।