इसलिए नहीं तोड़ सकते करार
धूमल ने बयान देते हुए कहा, ''हमें भारतीय और चीनी हित के बीच के अंतर करने की आवश्यकता है। पैसा भारत में आ रहा है न कि चीन में जा रहा। हमें यह समझना होगा कि चीनी कंपनी को उसके हित में सहयोग करने और चीनी कंपनी के जरिए देश का हित साधने में बड़ा फर्क है। जब हम भारत में चीनी कंपनियों को उनके उत्पाद बेचने की अनुमति देते हैं तो जो भी पैसा वे भारतीय उपभोक्ता से ले रहे हैं, उसमें से कुछ बीसीसीआई को ब्रांड प्रचार के लिये दे रहे हैं और जो भी पैसा आ रहा है उसमें से 42 फीसदी भारत सरकार और भारतीय सेना के पास जा रहा है।''
जब तक करार है तो कोई बुराई नहीं
इसके अलावा धूमल ने साफ किया कि वह भविष्य में चीनी कंपनी के साथ करार करने से पहले विचार विमर्श करेंगे लेकिन फिलहाल जो अनुबंध हैं उन्हें पूरा करने में कोई बुराई नहीं है। उन्होंने कहा, ''मैं निजी तौर पर चीन के सामान पर आत्मनिर्भरता कम करने के पक्ष में हूं। लेकिन जब तक वहां की कंपनियों को देश में बिजनेस करने की इजाजत है, तब तक अगर कोई चीनी कंपनी आईपीएल जैसे भारतीय ब्रांड को स्पॉन्सर करती है तो उसमें कोई बुराई नहीं।''
वो 5 स्टेडियम जहां अभी भी करवाए जा सकते हैं IPL 2020 के सारे मैच
440 करोड़ रूपए का है सालाना करार
बता दें कि मोबाइल निर्माता कंपनी वीवो ने 2199 करोड़ रुपए की बोली लगाकर 2017 में पांच साल के लिए आईपीएल के टाइटल प्रायोजन अधिकार हासिल किए थे। इस तरह सालाना करार 440 करोड़ रूपए का रहा जो 2022 में खत्म होगा।