नई दिल्ली। राहुल द्रविड़...वो पूर्व भारतीय क्रिकेटर जो शांत स्वभाव के साथ मुश्किलों से पार पाना अच्छी तरह से जानता है। द्रविड़ को 'द वाॅल' भी कहा जाता था। वो इसलिए, क्योंकि वो मुश्किल समय में भी विरोधी टीम के सामने दीवार बनकर डटे रहना पसंद करते थे। द्रविड़ ने जब क्रिकेट छोड़ा तो उन्होंने इंडिया ए और अंडर 19 टीम को कोचिंग दी। देश में नए सितारों के चेहरे उजागर करने का काम किया। उन्हें टीम इंडिया का मुख्य कोच बनने का भी दावेदार माना गया था, लेकिन वो खुद इस पद को हासिल नहीं करना चाहते थे। इसका कारण प्रशासकों की समिति के अध्यक्ष विनोद राय ने बताया।
साल 2017 में अनिल कुंबले ने कोच का पद त्यागा था। कोच की नई खोज में सबकी जुबां पर द्रविड़ का नाम था, लेकिन द्रविड़ ने परिवार के चलते कोच बनने से मना कर दिया था। राय ने खुलासा किया है कि पैनल ने तब द्रविड़ से संपर्क किया था, लेकिन पूर्व बल्लेबाज ने अपने परिवार को प्राथमिकता देने को लेकर इसे ठुकरा दिया। राय ने एक खेल बेवसाइट को दिए इंटरव्यू के दौरान कहा, ''हमने द्रविड़ से इस बारे में बात की थी लेकिन उनका जवाब था कि मेरे घर पर दो लड़के बड़े हो रहे हैं और मैं पूरी दुनिया में भारतीय टीम के साथ यात्रा कर रहा हूं और मैं उन पर समय और ध्यान नहीं दे पा रहा हूं। ऐसे में मुझे घर पर भी रहना चाहिए और मेरे परिवार को समय दना चाहिए।''
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राय ने आगे कहा कि वो पहले से ही मन बना चुके थे कि कोच नहीं बनेंगे। उन्होंने कहा, ''द्रविड़ भारत ए और अंडर -19 टीमों के साथ काम करना चाहते थे क्योंकि उस समय वो चरम पर थे।'' द्रविड़ को पिछले साल राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी का प्रमुख नियुक्त किया गया था और राय ने खुलासा किया था कि पूर्व भारतीय बल्लेबाज इस भूमिका को स्वीकार करने से ज्यादा खुश थे।