नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल(BCCI) बोर्ड को उस समय झटका लगा जब उनके अनुभवी पिच क्यूरेटर दलजीत सिंह ने चीफ क्यूरेटर के पद से संन्यास लिया। रविवार को संन्यास का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने अब अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने का फैसला किया है। पिछले 22 सालों में बीसीसीआई के साथ मेरा सफर बेहद शानदार रहा। दलजीत सिंह ये वो नाम है जिसने भारत में पिच क्यूरेटर के काम को ऊंचा मुकाम दिया। वो नाम जिसने भारत में पिचों की देखरेख में अपनी जिंदगी के 22 साल दे दिए। वो नाम जो साल 1961 से ही मैदान पर कदम रख चुका था। 19 साल तक बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज मैदान पर धाक जमाने के बाद कोच और फिर क्यूरेटर रहे दलजीत सिंह ने आखिरकार करीब 80 साल की उम्र में अपने पद से रिटायर हुए।
दलजीत ने चार टीमों के लिए रणजी ट्रॉफी खेली है। वह सर्विसेज, नार्दन पंजाब, डीडीसीए और बिहार केलिए रणजी ट्राफी में खेले। दलीप ट्राफी में उन्होंने उत्तर, पूर्व और मध्य क्षेत्र की टीमों का प्रतिनिधत्व किया। 1961 में फर्स्ट क्लास करियर शुरू करने वाले दलजीत सिंह ने 19 साल से ज्यादा समय तक विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर क्रिकेट खेला। उनके नाम एक समय रणजी ट्रॉफी में विकेट के पीछे सर्वाधिक शिकार करने का रिकॉर्ड था। उनके नाम 87 फर्स्ट क्लास मैचों में 225 शिकार दर्ज हैं।
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क्रिकेट खेलना भले ही दलजीत ने छोड़ दिया था लेकिन उन्होंने कोच के रूप में फिर 12 साल तक सेवा दी। इसके बाद बीसीसीआई ने उन्हें पिच तैयार करने का जिम्मा साैंपा। उनकी पिचों पर सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने कई बड़ी पारियां खेलीं। हालांकि एक विवाद जरूर दलजीत के गले में पड़ा था। 2013 में श्रीलंका के खिलाफ वनडे में कोटला की पिच को खतरनाक करार मैच रद्द कर दिया गया। उस दौरान बोर्ड की पूरी पिच कमेटी को भंग कर दिया गया था। दलजीत खुलासा करते हैं कि आईसीसी की पिच कमेटी के चेयरमैन एंडी एटकिंसन ने उस दौरान अपनी रिपोर्ट में उनके खिलाफ कोई गलत बात नहीं कही थी। बाद में उन्हें फिर रख लिया गया था।